करतारपुर (लाहौर):- भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक संवाद को बढ़ावा देने के लिए 9 नवंबर 2019 को करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया था। यह कॉरिडोर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवाल जिले में स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब तक सीधी पहुंच प्रदान करता है। इस धार्मिक स्थल का विशेष महत्व है क्योंकि यही वह स्थान है जहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने अपनी अंतिम सांस ली थी।
करतारपुर साहिब की विशेषता:
गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब सिख समुदाय के लिए अत्यधिक पवित्र स्थल है। यह गुरुद्वारा रावी नदी के किनारे स्थित है और इसे गुरु नानक देव जी द्वारा स्थापित किया गया था। यहां सिख धर्म के अनुयायी अपनी आस्था की भावना से जुड़ने और श्रद्धा अर्पित करने के लिए आते हैं। 1947 में बंटवारे के समय यह स्थान पाकिस्तान में चला गया और भारतीय सिखों के लिए यह स्थल भारतीय सीमा से केवल कुछ किलोमीटर दूर होने के बावजूद आने में कठिनाई होती थी। करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत ने इस समस्या को हल किया और अब भारतीय तीर्थयात्री बिना वीजा के पाकिस्तान जाकर यहां दर्शन कर सकते हैं।
यात्रा की प्रक्रिया:
1. पंजीकरण: भारतीय नागरिकों को करतारपुर साहिब जाने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित वेबसाइट (https://prakashpurb.gurudwara.com) पर पंजीकरण करना होता है। इस पंजीकरण के बाद यात्री को यात्रा की तारीख, समय, और अन्य दिशा-निर्देश मिलते हैं।
2. पासपोर्ट/आधार कार्ड: पंजीकरण के समय यात्री को अपना पासपोर्ट या आधार कार्ड की जानकारी देनी होती है। यात्रा के दौरान ये दस्तावेज आवश्यक होते हैं।
3. यात्रा के लिए शुल्क: करतारपुर साहिब जाने के लिए भारतीय नागरिकों से 20 डॉलर (करीब ₹1,600) का शुल्क लिया जाता है जो यात्रा की व्यवस्थाओं के लिए उपयोग होता है। सरकार द्वारा इस यात्रा को सुलभ और सहज बनाने के लिए शुल्क लिया जाता है।
4. बस सेवा: यात्रियों को दिल्ली या अमृतसर से करतारपुर साहिब तक पहुंचने के लिए बस सेवा उपलब्ध होती है। यात्रा का समय लगभग 4 से 5 घंटे का होता है।
विशेषताएं और फायदे:
– वीजा मुक्त यात्रा: करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक संबंधों को सुदृढ़ करने का अवसर मिलता है। भारतीय नागरिक बिना वीजा के पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब जा सकते हैं।
– सीमित यात्रा: यात्री एक दिन में केवल एक बार यात्रा कर सकते हैं और यात्रा का समय आमतौर पर सुबह से शाम तक होता है।
करतारपुर कॉरिडोर सिख समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण यात्रा मार्ग साबित हुआ है जो भारतीय सिखों को गुरु नानक देव जी के अंतिम स्थान पर बिना किसी बड़े खर्चे या वीजा प्रक्रिया के पहुंचने का अवसर देता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बनकर दोनों देशों के बीच विश्वास और समझ बढ़ाने का काम कर रहा है।