आजकल भारत में डायबिटीज (मधुमेह) के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और अब यह बीमारी केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही। आज के युवा खासकर 30-35 साल की उम्र में भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीमारी जीवनशैली की आदतों खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण तेजी से फैल रही है।
डायबिटीज खासतौर पर टाइप 2 डायबिटीज अब बहुत कम उम्र में देखा जा रहा है। पहले यह बीमारी आमतौर पर 40 या 50 साल से ऊपर के लोगों में पाई जाती थी लेकिन अब 30 से 35 साल के लोग भी इसके शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि असमय डायबिटीज होने का प्रमुख कारण अनहेल्दी लाइफस्टाइल है जिसमें ज्यादा जंक फूड, शारीरिक गतिविधियों की कमी तनाव और गलत समय पर खाना शामिल है। साथ ही युवाओं में बढ़ते वजन और मोटापे की समस्या भी इस बीमारी को बढ़ा रही है।
बिना लक्षण के डायबिटीज कैसे पता करें?
डायबिटीज के कई मामलों में शुरुआती लक्षण नजर नहीं आते जिससे लोग इसके प्रति सतर्क नहीं रहते। आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण जैसे अधिक प्यास लगना बार-बार पेशाब आना थकान धुंधला दिखना और घावों का धीरे-धीरे ठीक होना होते हैं। लेकिन कई बार ये लक्षण इतने हल्के होते हैं कि लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं।
इसलिए यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो डायबिटीज की जांच कराना जरूरी हो जाता है। विशेषकर वे लोग जो उच्च रक्तचाप उच्च कोलेस्ट्रॉल या मोटापे से जूझ रहे हैं उन्हें नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करवानी चाहिए।
डायबेटोलॉजिस्ट से सलाह
डायबिटीज विशेषज्ञ (डायबेटोलॉजिस्ट) डॉक्टर गौरव शर्मा का कहना है डायबिटीज एक चुपके से बढ़ने वाली बीमारी है जो यदि समय रहते पहचानी न जाए तो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। बेहतर है कि लोग नियमित रूप से अपनी शारीरिक गतिविधियों में बदलाव लाएं और सही आहार लें। डॉक्टर शर्मा के मुताबिक वजन कम करन हफ्ते में कम से कम 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि करने और संतुलित आहार अपनाने से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है।
डायबिटीज की शुरुआती पहचान के लिए अब बहुत आसान और सटीक परीक्षण उपलब्ध हैं। ब्लड शुगर टेस्ट HbA1c टेस्ट और ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट जैसे परीक्षण इसके निदान में मदद कर सकते हैं।
इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि युवा पीढ़ी को अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहना चाहिए और नियमित जांच के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।