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संभल हिंसा: न्यायिक आयोग का निरीक्षण जारी, दो महीने में आएगी जांच रिपोर्ट

संभल (उत्तर प्रदेश):- जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान भड़की हिंसा की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की टीम ने रविवार को हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया। इस हिंसा में पांच लोगों की मौत हुई थी और 19 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। न्यायिक आयोग ने घटना की तह तक पहुंचने और विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो महीने का समय निर्धारित किया है। आयोग की टीम ने सबसे पहले जामा मस्जिद और उसके आसपास के इलाकों का दौरा किया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी और एसपी ने टीम को घटना की जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान विवाद शुरू हुआ जो देखते ही देखते हिंसा में बदल गया। मस्जिद के पास जुटी भीड़ ने पथराव किया और पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों पर हमला किया।

टीम ने स्थानीय दुकानदारों और निवासियों से घटना के दौरान की स्थिति के बारे में जानकारी ली। दुकानदारों ने बताया कि पथराव शुरू होते ही उन्होंने अपनी दुकानें बंद कर दीं और जान बचाने के लिए वहां से चले गए। आयोग ने उन घरों की भी पहचान की जहां से पथराव हुआ था। जामा मस्जिद के निरीक्षण के बाद आयोग की टीम नखासा चौराहा पहुंची जहां सबसे ज्यादा हिंसा और पथराव हुआ था। टीम ने इस इलाके की स्थिति का गहन अध्ययन किया और हिंसा के कारणों पर अधिकारियों से चर्चा की। एसपी कृष्ण विश्नोई ने बताया कि हिंसा के दौरान वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और पुलिस टीम पर हमला किया गया। उन्होंने आयोग को बताया कि प्रशासन ने हालात पर काबू पाने के लिए क्या कदम उठाए।

इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। संसद में भी इस घटना को लेकर हंगामा हुआ।पूर्व डीजीपी और आयोग के सदस्य एके जैन ने बताया कि यह जांच घटना की तह तक पहुंचने के लिए की जा रही है। टीम सभी पहलुओं की गहराई से जांच कर रही है और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों पर भी विचार कर रही है।

न्यायिक आयोग अपनी जांच रिपोर्ट अगले दो महीने में सौंपेगा। आयोग की जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और दोषियों को सजा दी जाए। संभल हिंसा की जांच केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं बल्कि प्रशासनिक और सामाजिक जिम्मेदारी है। न्यायिक आयोग का यह कदम स्थानीय निवासियों के लिए एक उम्मीद बनकर उभरा है।

 

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