नई दिल्ली:- हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने शुक्रवार को अपने शीर्ष नेताओं के साथ नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय कांग्रेस मुख्यालय में कार्यसमिति (CWC) की बैठक की। इस दौरान पार्टी के प्रदर्शन संगठनात्मक खामियों और चुनावी रणनीतियों पर गहन चर्चा हुई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि चुनावी परिणाम पार्टी के लिए एक स्पष्ट संदेश हैं और हमें कठोर निर्णय लेकर जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी। खरगे ने कहा कि तीन राज्यों के चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहे। बैठक में यह माना गया कि पार्टी का अंदरूनी कलह अनुशासनहीनता और कमजोर संगठनात्मक ढांचा हार के प्रमुख कारण बने। उन्होंने पार्टी नेताओं से एकजुट होकर काम करने और आत्मावलोकन की आवश्यकता पर जोर दिया।
खरगे ने कहा पार्टी की अंदरूनी कलह से हमें बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। जब तक हम एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी बंद नहीं करेंगे और एकजुट होकर काम नहीं करेंगे तब तक विरोधियों को हराना मुश्किल होगा। उन्होंने अनुशासन के सख्त पालन और पार्टी हित को सर्वोपरि रखने का निर्देश दिया। बैठक में ईवीएम की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए गए। खरगे ने कहा ईवीएम ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करे।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनावी माहौल पार्टी के पक्ष में था लेकिन इसे नतीजों में नहीं बदला जा सका। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करना होगा मतदाता सूची से लेकर मतगणना तक सतर्कता बरतनी होगी। खरगे ने कहा कि चुनाव लड़ने के तरीके बदल गए हैं। जाति जनगणना जैसे मुद्दों पर ध्यान देना होगा और पार्टी की सूक्ष्म संचार रणनीति को और प्रभावी बनाना होगा। उन्होंने कहा कि हमें प्रचार और गलत सूचना से लड़ने के लिए बेहतर तरीकों की खोज करनी होगी।
खरगे ने कहा कि पार्टी को पिछले चुनावी परिणामों से सबक लेना होगा। संगठन में सुधार के साथ कठोर फैसले लेने होंगे। जवाबदेही तय करना और खामियों को दूर करना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। बैठक में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, केसी वेणुगोपाल जयराम रमेश समेत अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक पार्टी के प्रदर्शन की गहन समीक्षा और सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि संगठनात्मक बदलाव और कड़े फैसले भविष्य में कितने प्रभावी साबित होंगे।
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