नई दिल्ली :- बॉक्स ऑफ़िस पर धूम मचाने और महामारी के कारण सिनेमा जगत में आई खामोशी को तोड़ने के दो साल बाद “भूल भुलैया” के प्रमुख किरदार रूह बाबा और मंजुलिका एक बार फिर दर्शकों का मनोरंजन करने वापस लौटे हैं। इस बार फिल्म का प्रमुख पात्र धोखेबाज़ ओझा (कार्तिक आर्यन) कोलकाता में स्थित है जहाँ वह भोले-भाले लोगों को ठगने में व्यस्त है। एक विशेष घटना के बाद उसे एक रहस्यमय महल में बुलाया जाता है जहाँ सोने के दरवाज़ों के पीछे बंद आत्मा दो सदियों से अपने साथ हुए अन्याय का बदला लेने के लिए छटपटा रही है।
निर्देशक अनीस बज़्मी द्वारा निर्देशित यह तीसरी किस्त, पिछले भागों के मुकाबले कई मायनों में उल्लेखनीय सुधार है। जहाँ फिल्म का पहला भाग कुछ हद तक धीमा प्रतीत होता है वहीँ अंतराल के बाद फिल्म की कहानी में नया मोड़ आता है। जो इसे दर्शकों के लिए और दिलचस्प बनाता है। विद्या बालन और माधुरी दीक्षित के बीच का एक शानदार डांस-ऑफ भी देखने को मिलता है जिसने फिल्म को और भी मनोरंजक बना दिया है।
विद्या बालन का शानदार प्रदर्शन
पहली किस्त में अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति के बाद विद्या बालन एक बार फिर दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने में सफल रही हैं। फिल्म के हर दृश्य में उनकी उपस्थिति इतनी प्रभावशाली है कि अन्य पात्रों पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। चाहे वह डांस सीक्वेंस हो या हॉरर कॉमेडी का हिस्सा विद्या बालन ने अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया है। हालाँकि फिल्म के मुख्य किरदार कार्तिक आर्यन ने भी अपने करियर का बेहतरीन अभिनय दिया है फिर भी विद्या बालन फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण बनी हुई हैं।
सहायक कलाकारों का योगदान
इस भाग में हास्य का भार पूरी तरह से संजय मिश्रा, अश्विनी कालसेकर और राजपाल यादव पर है जिन्होंने अपने अनुभव से फिल्म की कॉमेडी को और बेहतर बना दिया है। अक्षय कुमार की उपस्थिति और विरासत कार्तिक आर्यन पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। हालाँकि कुछ सीन्स में उनकी भूमिका अक्षय कुमार से प्रेरित लगती है लेकिन कार्तिक अपने अभिनय से फिल्म को एक नया आयाम देने में सफल रहे हैं। फिल्म का चरमोत्कर्ष जिसमें कार्तिक का प्रदर्शन सबसे अधिक उभरकर आता है रोमांचक और मनोरंजक है।
कहानी में छूटे हुए सवाल
फिल्म ने हालांकि अधिकतर ढीले छोरों को समेटने का प्रयास किया है लेकिन फिर भी कुछ सवाल अनसुलझे रह जाते हैं। जैसे कि मीरा (त्रिप्ति डिमरी) और उसके चाचा को रूहान (आर्यन) के बारे में कैसे पता चला या 200 साल पुरानी कहानी में त्रिप्ति डिमरी के किरदार का क्या आर्क था। इन सवालों को सिर्फ संकेतों में प्रस्तुत किया गया है लेकिन पूरी तरह से समझाया नहीं गया है। फिल्म में त्रिप्ति डिमरी का आना-जाना देखकर यह एहसास होता है कि उनके जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों को बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता था।
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