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रतन टाटा की नेतृत्व क्षमता ने टाटा समूह को दिलाया वैश्विक पहचान

भारतीय उद्योग जगत के एक महान नेता रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वह टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष थे और उनकी नेतृत्व क्षमता नैतिक व्यवसायिक प्रथाओं और परोपकार की भावना ने उन्हें एक विशेष स्थान दिलाया है ।

उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था और उन्होंने टाटा समूह का नेतृत्व 1991 से 2012 तक किया था। उनकी अगुवाई में समूह की आय 5.7 अरब डॉलर से बढ़कर लगभग 100 अरब डॉलर हो गई थी ।

रतन टाटा ने टाटा स्टील को भारत से निकालकर दुनिया की एक प्रमुख कंपनी बना दिया। उन्होंने मजदूरों से पूछा था कि आप देश में नंबर वन बने रहना चाहते हैं या दुनिया में? इस सवाल ने कंपनी का नजरिया ही बदल दिया। टाटा स्टील आज 26 देशों में काम कर रही है और 80500 लोगों को रोजगार दे रही है।

उनकी उपलब्धियों में टेटली का अधिग्रहण 2000 में कोरस का अधिग्रहण 2007 में और जैगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण 2008 में शामिल हैं। उन्होंने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया और 2008 में टाटा नैनो कार का अनावरण किया, जो दुनिया की सबसे सस्ती कार थी।

रतन टाटा को उनके परोपकार के लिए भी जाना जाता है। टाटा संस में उनके शेयरों का 65% हिस्सा परोपकारी कारणों के लिए दान किया गया है। उनके योगदान ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक विकास परियोजनाओं को समर्थन दिया है।

उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है जिनमें 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण शामिल हैं। उन्हें 2010 में ओस्लो बिजनेस फॉर पीस अवार्ड और 2014 में क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा नाइट ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर से सम्मानित किया गया था।

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