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नहीं रहे रतन टाटा, उद्योग जगत में दौडी़ शोक की लहर

महाराष्ट्र (मुंबई):- देश दुनिया के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा नहीं रहे। देश दुनिया के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं नहीं रहे। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आज रात उनका निधन हो गया। लम्बे समय से बीमार चल रहे रत्न टाटा ने ब्रीच कैंडी अस्पताल में आज रात अंतिम सांसें लीं। उनके निधन से देश दुनिया के उद्योग जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ निधन

जाने-माने उद्योगपति, समाजसेवी और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। 86 साल के रतन टाटा ने सोमवार को बताया था कि नियमित मेडिकल टेस्ट कराने के लिए अस्पताल आए हैं। सोशल मीडिया पर अपने बयान में टाटा ने कहा कि वे अच्छे मूड में हैं। चिंता की कोई बात नहीं है। इससे पूर्व 7 अक्टूबर 2024 को खबर आई थी कि ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती हुए है।

तब कहा गया था रतन टाटा को रात 12.30 से 1.00 बजे के बीच अस्पताल ले जाया गया। उनका ब्लड प्रेशर बहुत गिर गया था। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा, जिन्होंने टाटा समूह को आकार दिया और ग्रुप ने कई उपलब्धियां हासिल की है।
अपनी विनम्रता के लिए जाने जाने वाले रतन टाटा ने मार्च 1991 में ग्रुप के चेयरमैन के रूप में कार्यभार संभाला और 2012 में पद छोड़ दिया। रतन टाटा 17 साल की उम्र में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, यूएस गए और आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

रतन टाटा: भारत के प्रमुख उद्योगपति और समाजसेवी

रतन टाटा भारत के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित उद्योगपतियों में से एक हैं। उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। वे भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह, टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। रतन टाटा की नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता ने टाटा समूह को न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन्नति की ऊँचाइयों पर पहुँचाया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

रतन टाटा का जन्म एक पारसी परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम नवल टाटा था, और उनकी माँ का नाम सूनू था। रतन टाटा की शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर की पढ़ाई की और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।

टाटा समूह में योगदान

रतन टाटा ने 1991 में जे.आर.डी. टाटा के बाद टाटा समूह के अध्यक्ष का पदभार संभाला। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई नए क्षेत्रों में प्रवेश किया और कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिनमें टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर लैंड रोवर और टाटा स्टील द्वारा कोरस का अधिग्रहण प्रमुख हैं। रतन टाटा के कार्यकाल में ही टाटा इंडिका और टाटा नैनो जैसी गाड़ियों का निर्माण हुआ, जिसने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में क्रांति ला दी।

सामाजिक और परोपकारी कार्य

रतन टाटा सिर्फ एक सफल उद्योगपति ही नहीं, बल्कि एक महान समाजसेवी भी हैं। उन्होंने हमेशा समाज के उत्थान और कल्याण के लिए काम किया है। टाटा समूह की कंपनियों का मुनाफा समाज सेवा और विकास कार्यों में लगाया जाता है। टाटा ट्रस्ट्स, जो कि शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और समाज सेवा के क्षेत्रों में काम करता है, इसके पीछे रतन टाटा की सोच और नेतृत्व का बड़ा योगदान है।

पुरस्कार और सम्मान

रतन टाटा को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, जो भारत के तीसरे और दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं।

सरल जीवन और विनम्रता

रतन टाटा के बारे में यह कहा जाता है कि वे बेहद विनम्र और सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं। उन्होंने कभी भी अपने निजी जीवन को सार्वजनिक नहीं किया और हमेशा अपने कार्यों के माध्यम से अपनी पहचान बनाई। उनकी विनम्रता और समाज सेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें न केवल उद्योग जगत में बल्कि आम जनता के बीच भी लोकप्रिय बनाया है।

रतन टाटा न केवल एक कुशल व्यवसायी थे बल्कि एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय समाज और उद्योग के उत्थान के लिए निरंतर काम किया। उनका जीवन और कार्य समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

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