नई दिल्ली :- भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हमारे देश में संविधान के आधार पर ही कानून व्यवस्था चलती है। भारत के हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह भारतीय संविधान का पालन करें। भारत के राज्यों में अलग अलग धर्म, अलग भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं, लेकिन कानून सभी के लिए एक ही है। हर किसी को भारतीय संविधान के नियम कानून मानना जरूरी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक गांव ऐसा भी है, जहां भारत का कोई काननू नहीं चलता। यहां के लोग भारत के संविधान को नहीं मानते। इस गांव के अपने अलग नियम और कानून है।
इस गांव के लोग खुद ही न्यायपालिका और कार्यपालिका:
यह अनोखा गांव हिमाचल प्रदेश में स्थित है और इसका नाम मलाणा है। यहां के लोग खुद न्यायपालिका और कार्यपालिका होते हैं। सदन के सदस्यों को चुनने का काम भी वे खुद ही करते हैं। यह गांव हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में करीब 12 हजार फुट की ऊंचाई पर बसा है। इसके चारों तरफ गहरी खाई और पहाड़ हैं। इस गांव में कोई भी भारतीय कानून नहीं माना जाता है। गांव वालों ने अपने खुद के कुछ नियम बना रखे हैं। इस गांव की खुद की संसद है। इसी आधार पर यहां सारे फैसले लिए जाते हैं।
गांव की अपनी अलग संसद:
खास बात यह है कि भारत का हिस्सा होते हुए भी इस गांव का अपना अलग संविधान है। यहां के लोगों की अपनी अलग संसद है और इसमें दो सदन हैं। ऊपरी सदन और निचली सदन। ऊपरी सदन में 11 सदस्य हैं।