नई दिल्ली :- प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) को 10 साल पूरे हो चुके हैं। 28 अगस्त 2014 को जनधन योजना पूरे देश में लागू की गई थी। पिछले एक दशक में इस योजना के तहत देश में 53 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते खोले जा चुके हैं। इनमें 29 करोड़ खाते महिलाओं के हैं।
गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम
मोदी सरकार की शुरुआती योजनाओं में से एक जनधन योजना का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले से किया था। 28 अगस्त को योजना लागू की गई। बैंकों ने देशभर में 77,892 कैंप लगाए और एक हफ्ते के अंदर 1.8 करोड़ खाते खोले गए। इसी के साथ भारत का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गया। 1 करोड़ 80 लाख बैंक अकाउंट के साथ भारत 1 हफ्ते में सबसे ज्यादा बैंक खाता खोलने वाला दुनिया का पहला देश बन गया।
जनधन योजना कैसे बनी मददगार?
जनधन योजना मोदी सरकार के वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) के सपने को भी साकार किया। देश की ज्यादातर गरीब अबादी के पास बचत खाता था। यही नहीं जनधन खाता धारकों को रुपेय डेबिट कार्ड यानी एटीएम कार्ड भी दिया गया। इसके अलावा जनधन खाते पर 1 लाख का एक्सीडेंट इंश्योरेंस भी दिया गया। सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ उठाने के लिए लोगों ने जनधन खाते का इस्तेमाल किया। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) से लेकर सब्सिडी पाने, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना और मुद्रा योजना का लाभ उठाने के लिए लोग इसी बैंक खाते की मदद लेते हैं।
15 राज्यों में 1 करोड़ों जनधन खाते
आंकड़ों की मानें तो जनधन योजना के तहत सबसे ज्यादा 9 करोड़ बैंक अकाउंट उत्तर प्रदेश में खोले गए और सबसे कम बैंक अकाउंट 9 हजार लक्षद्वीप में खुले हैं। यूपी के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, असम, ओडिशा, कर्नाटक, झारखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 1 करोड़ से ज्यादा जनधन बचत खाते खोले गए हैं।
बैंकों की तादाद बढ़ी
2013 के बाद देश में कमर्शियल बैंकों की संख्या 46 प्रतिशत बढ़कर 1,05,992 से 1,54,983 हो गई है। इसमें 35 प्रतिशत शाखाएं गांवों में खुली हैं। वहीं 28 प्रतिशत शाखाएं अर्ध शहरी इलाकों, 18 प्रतिशत शाखाएं शहरों और 19 प्रतिशत शाखाएं मेट्रोपॉलिटन इलाकों में खोली गई हैं। जून 2024 में एटीएम की संख्या 1,66,894 थी। जो अब बढ़कर 2,16,914 हो गई है। इसके अलावा जनधन योजना लागू करने के दो साल बाद UPI सामने आया, जिससे बैंक अकाउंट का इस्तेमाल और भी ज्यादा बढ़ने लगा। देश में डिजिटिल लेन-देन को बढ़ावा मिला। अब आलम यह है कि दुकानदार से लेकर निजी लेन-देन के लिए 350 मिलियन से ज्यादा लोग UPI का इस्तेमाल करते हैं।