विवेक मिश्रा की स्पेशल रिपोर्ट
सोनभद्र (उत्तर प्रदेश):- सोनभद्र शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र के तत्वावधान में बार सभागार कचहरी में कवि गोष्ठी का आयोजन मंगलवार दोपहर को बार अध्यक्ष पूनम सिंह की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। वाग्देवी स्तवन करते हुए आयोजक प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट निदेशक शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र ने ,तम हर जगह मां जगमग कर दे। दुःख हर सुख मां घर-घर भर दे सुनाया और विधिवत आयोजन शुरू हुआ।
ओज व श्रृंगार की सशक्त हस्ताक्षर कवयित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने, पुष्प बनकर मैं खुश्बू लुटाती रहूं,कांटे दामन में अपने छिपाती रहूं शारदे शक्ति दे जागरण नित करूं, राष्ट्र हित में सदा गीत गाती रहूं सुनाया और खूब वाहवाही बटोरी। कवि धर्मेश चौहान ने, बौराये जब आम समझो आ गया मधुमास है आम के अधरों पर होती गजब की मिठास है सुनायें और सराहे गये।
सफल संचालन कर रहे अशोक तिवारी एडवोकेट ने शायरी,, अल्लाह जानता है मुहब्बत हमीं ने की,उनकी तरफ से हर जगह शिरकत हमीं ने की सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। दयानंद दयालू ने भोजपुरी लोकभाषा में कई रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
नोटरी अधिवक्ता बार कौंसिल इलाहाबाद के मनोनीत सदस्य राकेश शरण मिस्र एडवोकेट ने नेताओं को बेनकाब करते हुए कृतित्व व्यक्तित्व में अंतर पर अपनी रचना,,लकलक कुर्ता पैजामा पहन कर आये नेताजी सुनाया और लोगों को सोचने पर विबश किये। नवगीत कार दिलीप सिंह दीपक ने ,, सत्ता को चुनौती देती धारा के विपरीत रचना,, मोहब्बत की जमीं है ए इसका ईमान मत बेचो,तुम सबकुछ बेच दो लेकिन हिंदुस्तान मत बेचो सुनाकर गंभीर चिंतन किया।
इस मौके पर सुधाकर, स्वदेशप्रेम, जयराम सोनी ,अरुणतिवारी, मदन चौबे ने भी काव्य पाठ कर गतिज ऊर्जा प्रदान किये और सराहे गए। आभार प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट ने व्यक्त किया और कवियों पत्रकारों के लिए अपनी रचना,,तेरी आंखों में चाहत का समंदर देखा। समरसता सद्भाव का हिंदुस्तानी मंजर देखा सुनाकर आभार व्यक्त किया। अध्यक्षता कर रही बार एसोसिएशन सोनभद्र की अध्यक्ष पूनम सिंह एडवोकेट ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर विनोद कुमार चौबे, राजीव कुमार गौतम, राजेश पाठक, प्रकाश चन्द्र गिरि, विजय प्रकाश पाण्डेय, अनिल कुमार पांडेय आदि रहे।
पुष्प बनकर मैं खुश्बू लुटाती रहूं
कांटे दामन में अपने छिपाती रहूं
शारदे शक्ति दे जागरण नित करूं
राष्ट्र हित में सदा गीत गाती रहूं।
– कवियों ने एक से बढ़कर एक रचना सुना वाहवाही लूटी
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