नई दिल्ली:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ लेने से पहले कहा, “संसदीय लोकतंत्र में आज का दिन गौरव मय है,यह वैभव का दिन है। आजादी के बाद पहली बार हमारे अपने नए संसद में यह शपथ हो रहा है, अब तक ये प्रक्रिया पुराने संसद में होती थी। आज के इस महत्वपूर्ण दिन पर मैं सभी नव निर्वाचित सांसदों का स्वागत करता हूं सबका अभिनंदन करता हूं और सबको शुभकामनाएं देता हूं।”
संसद का ये गठन भारत के सामान्य मानवी के संकल्पों की पूर्ति का है। नए उमंग नए उत्साह के साथ नई गति प्राप्त करने के लिए ये अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है। श्रेष्ठ भारत के निर्माण और विकसित भारत का लक्ष्य ये सारे सपने लेकर आज 18वीं लोकसभा का प्रारंभ हो रहा है। विश्व का सबसे बड़ा चुनाव बहुत ही शानदार तरीके से, बहुत ही गौरवमय तरीके से संपन्न होना, ये हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। करीब 65 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया।”
अगर हमारे देश के नागरिकों ने लगातार तीसरी बार किसी सरकार पर भरोसा किया है, तो इसका मतलब है कि उन्होंने सरकार की नीतियों और नीयत पर मुहर लगाई है। मैं आप सभी के समर्थन और भरोसे के लिए आभारी हूं। सरकार चलाने के लिए बहुमत ज़रूरी है, लेकिन देश चलाने के लिए आम सहमति ज़रूरी है।
कल 25 जून हैं। जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा से समर्पित हैं, जो लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर निष्ठा रखते हैं, उनके लिए 25 जून न भूलने वाला दिवस है। कल 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, उसके 50 वर्ष हो रहे हैं। भारत की नई पीढ़ी ये कभी नहीं भूलेगी की संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था, भारत को जेलखाना बना दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच दिया गया था। इमरजेंसी के ये 50 साल इस संकल्प के हैं कि हम गौरव के साथ हमारे संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए देशवासी ये संकल्प करेंगे कि भारत में फिर कभी कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा, जो 50 साल पहले की गई थी और लोकतंत्र पर काला धब्बा लगा दिया गया था।
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