नई दिल्ली: -देश की सबसे भरोसेमंद कंपनी टाटा अब मोबाइल बनाने के बिजनेस में भी उतरने जा रही है। हालांकि, करीब एक दशक पहले टाटा समूह मोबाइल नेटवर्क और हैंडसेट दोनों बनाती थी।
अब टाटा स्मार्टफोन बिजनेस की तरफ बढ़ने की तैयारी है। इसके लिए एक बड़ी चाइनीज कंपनी को खरीदने की बातचीत चल रही है। सौदा पक्का हुआ तो चीन की इस कंपनी में 51 फीसदी हिस्सेदारी टाटा की होगी, जिसका मतलब हुआ कि इसका कंट्रोल देसी कंपनी के पास आ जाएगा।
दरअसल, भारत सरकार ने चीन की तमाम कंपनियों की सख्त स्क्रूटनी शुरू कर दी है। इस कड़ी में चीन के लोकप्रिय स्मार्टफोन ब्रांड वीवो (Vivo) ने अपनी बड़ी हिस्सेदारी भारतीय कंपनी को बेचने की मंशा बना ली है और इसे लेकर टाटा समूह से बातचीत चल रही है। वीवो की तैयारी भारतीय कंपनी के साथ मिलकर मैन्युफैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन करने की है।
कहां अटकी है बातचीत
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दोनों कंपनियों में बातचीत शुरुआती स्टेज में है और मामला वीवो कंपनी के वैल्यूएशन पर टिका हुआ है। टाटा ने अपनी तरफ से कंपनी का वैल्यूएशन ऑफर किया है, लेकिन वीवो की मंशा इसे और बढ़ाने की है। टाटा समूह इस डील को लेकर उत्साहित जरूर है, लेकिन अभी तक कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है।
अभी भारतीय कंपनी ही देख रही मैन्युफैक्चरिंग का काम
वीवो की मैन्युफैक्चरिंग का काम फिलहाल एक भारतीय कंपनी भगवती प्रोडक्ट (Micromax) ही देखेगी, जिसने ग्रेटर नोएडा में बनी नई प्रोडक्शन यूनिट के लिए हायरिंग भी शुरू कर दी है। यह भारतीय कंपनी चीन की ह्वाकीन (Huaqin) के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाने की तैयारी हैं। फिलहाल इस वेंचर को सरकार के अप्रूवल का इंतजार है। आपको बता दें कि ह्वाकीन टेक्नोलॉजी मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट की ओरिजनल डिजाइन करने वाली सबसे बड़ी विनिर्माता कंपनी है।
वीवो ट्रांसफर करेगी विनिर्माण यूनिट
वीवो की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट अभी नोएडा के टेक्जोन आईटी पार्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में है, जहां से ग्रेटर नोएडा स्थित 170 एकड़ में बनी नई यूनिट में ट्रांसफर की जानी है, जो कुछ ही दिनों में पूरी तरह ऑपरेशन में आ जाएगी। फिलहाल टाटा और वीवो ने इस बारे में साफ तौर पर कुछ भी कहने से इनकार किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि मामले पर तेजी से डेवलपमेंट हो रहे हैं।
सरकार की क्या है मंशा
भारत सरकार ने मामले में अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी है कि चीन की मोबाइल कंपनी का 51 फीसदी हिस्सा किसी भारतीय कंपनी के हाथ में ही होना चाहिए और मोबाइल हैंडसेट का निर्माण व वितरण ज्वाइंट वेंचर के तौर पर ही किया जाएगा। इसके साथ ही सरकार वीवो कंपनी की जांच भी कर रही है, जिसमें कंपनी के ऊपर टैक्स छुपाने और मनी लॉड्रिंक का भी आरोप है।
वीवो को हुआ है तगड़ा मुनाफा
वीवो ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में अब तक के दूसरे सबसे बड़े मुनाफे का खुलासा किया था। कंपनी ने बताया था कि उसे 29,874.90 करोड़ का राजस्व मिला है, जबकि 211 करोड़ का शुद्ध मुनाफा भी हुआ। इससे पहले के वित्तीय वर्ष में कंपनी को 123 करोड़ का घाटा हुआ था। फिलहाल वीवो ने देश के हर राज्य में भारतीय डिस्ट्रीब्यूटर्स नियुक्त करने शुरू कर दिए हैं।
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