Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rocket domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u754392520/domains/dastakhindustan.in/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
Dastak Hindustan - कोविशील्ड को लेकर फैल रहे डर के बीच आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक ने राहत देने वाली जानकारी दी

Dastak Hindustan

कोविशील्ड को लेकर फैल रहे डर के बीच आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक ने राहत देने वाली जानकारी दी

नई दिल्ली:- बीते दिनों ब्रिटिश कोर्ट में एस्ट्राजेनेका के खुलासे से कोरोना से बचने के लिए कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले हर इंसान के अंदर खौफ आ गया। कंपनी ने कोर्ट में माना कि वैक्सीन के खतरनाक साइड इफैक्ट हो सकते हैं। इस बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है कि वैक्सीन लेने वाले 10 लाख लोगों में से सिर्फ 7 लोगों पर खतरनाक साइड इफैक्ट का खतरा रहता है।

भारत में कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर फैल रहे डर के बीच आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक ने राहत देने वाली जानकारी दी है। उनका कहना है कि कोरोना के कोविशील्ड टीके को लेकर किसी भी तरह से डरने की जरूरत नहीं है।

इससे साइडइफेक्ट दुर्लभ से दुर्लभ मामलों में ही होता है। यही नहीं उन्होंने इसका डेटा ही समझाते हुए कहा कि वैक्सीन लेने वाले 10 लाख लोगों में से कोई 7 या 8 लोगों के साथ हार्ट अटैक या ब्लड क्लॉटिंग यानी खून के थक्के जमने का रिस्क हो सकता है। इस साइडइफेक्ट को थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) कहा जा रहा है। ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेडकर ने कहा कि वैक्सीन से किसी भी तरह का रिस्क नहीं है।

यह अपवाद और दुर्लभ से दुर्लभ केसों में ही होता है। उन्होंने बातचीत में कहा, ‘उन्होंने कहा कि जब आप पहली डोज लेते हैं तो सबसे ज्यादा रिस्क होता है। दूसरी डोज लेने पर यह कम हो जाता है और फिर तीसरी में तो एकदम कम होता है। यदि साइडइफेक्ट होना ही होता है तो शुरुआती दो से तीन महीनों में असर दिख जाता है। उनका कहना था कि वैक्सीन लेने के सालों बाद अब इसे लेकर डरने की जरूरत नहीं है। दरअसल यह पूरा मामला ब्रिटेन की एक अदालत में चले केस से शुरू हुआ है, जहां कुछ मृतकों के परिजनों ने दावा किया था कि वैक्सीन लेने के बाद ही उनकी मौत हुई।

यह केस चला तो अदालत में वैक्सीन तैयार करने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना कि दुर्लभ केसों में ब्लड क्लॉटिंग की दिक्कत हो सकती है। भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने किया है, जिसका नाम कोविशील्ड रखा गया है। भारत में करीब 90 फीसदी लोगों को कोविशील्ड का ही टीका लगा है। ब्रिटेन में चले केस की खबरें जब मीडिया में आईं तो भारत में भी कुछ लोगों में डर फैला। इसी को लेकर जब ICMR के पूर्व वैज्ञानिक से पूछा गया तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया। उनका कहना था कि किसी भी वैक्सीन के कुछ साइडइफेक्ट्स हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ ये खत्म होते जाते हैं।

डॉ. रमन गंगाखेडकर का कहना है कि किसी भी वैक्सीन के साथ ऐसा होता है। उन्होंने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि 10 लाख में से 7 या 8 लोगों को ही साइडइफेक्ट का खतरा होता है। बता दें कि ब्रिटिश अखबार डेली टेलीग्राफ ने लिखा था कि एस्ट्राजेनेका ने लंदन के हाई कोर्ट में बताया है कि उसकी दवा से दुर्लभतम केसों में साइडइफेक्ट हो सकता है।

 

साइड इफेक्ट के आरोप को पहले नकारा

बताते चले की सबसे पहले साल 2021 में जेमी स्कॉट नाम के व्यक्ति ने यह वैक्सीन लगवाई थी। इसके बाद उनकी हेल्थ खराब होने लगी। खून के थक्के बनने से उनके दिमाग पर इसका असर पड़ा, इसके अलावा उनके ब्रेन में इंटर्नल ब्लीडिंग भी हुई। इसके बाद साल 2023 में जेमी ने दवा निर्माता कंपनी के खिलाफ केस किया।

जेमी के आरोपों के जवाब में कंपनी ने दावा करते हुए कहा कि उसकी वैक्सीन से टीटीएस नहीं हो सकता। हालांकि अब कोर्ट में जमा किए अपने दस्तावेजों में वह अपने उस दावे से पलट गई। गौर करने वाली बात यह है कि जब से इस वैक्सीन के साइट इफेक्ट्स से जुड़े मामले सामने आए हैं तब से ही इसका इस्तेमाल यूके में नहीं किया गया।

ऐसी अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें 

शेयर करे


Deprecated: File Theme without comments.php is deprecated since version 3.0.0 with no alternative available. Please include a comments.php template in your theme. in /home/u754392520/domains/dastakhindustan.in/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *