नई दिल्ली :- SBI की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बैंक को चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है। साल्वे का कहना है कि SBI की समस्या यह है कि पूरी प्रक्रिया को उलटना पड़ेगा। एसओपी ने सुनिश्चित किया था कि कोर बैंकिंग सिस्टम और बांड नंबर में खरीदार का कोई नाम नहीं हो। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “यह बेहद गंभीर मामला है। यह संविधान पीठ का आदेश है। आपको कोर्ट के आदेश के मुताबिक काम करना होगा। आपको चुनाव आयोग के साथ जानकारी साझा करनी होगी।”
एसबीआई की याचिका पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पांच जजों की बेंच ने सोमवार को सुनवाई की। इस मामले एसबीआई की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने दलील दी कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की तारीख और खरीदने वाले का नाम एक साथ उपलब्ध नहीं है, उसे कोड किया गया है। उसे डिकोड करने में समय लगेगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कई गंभीर सवाल किए।
SC: हमने अपने फैसले के तहत एक सीधी जानकारी देने के लिए कहा था, एसबीआई को इसका पालन करना चाहिए। SC: अगर किसी ने बॉन्ड खरीदा है तो उसके लिए KYC जरूरी थी। SBI: हां हमारे पास जानकारी है। SBI: हमारे पास सब जानकारी है, किसने खरीदा है, किस राजनीतिक पार्टी को गया है। SBI: किसने बॉन्ड खरीदा ये बताना आसान है। लेकिन बॉन्ड नंबर के साथ नाम बताने में समय लगेगा। SC: हमारे फैसले में आपने अब तक क्या किया हैं। हमें इसकी पूरी जानकारी चाहिए।
SBI: हम इसको लेकर एक डिटेल हलफनामा दायर करेंगे। SC: पिछले 26 दिनों में आपने क्या किया है ये बताए। SC: आपको कोर्ट के आदेश के मुताबिक काम करना होगा आपको जानकारी ECI के साथ साझा करनी होगी। SC: ये बेहद गंभीर मामला है, संविधान पीठ का आदेश है।
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा,” एसबीआई को केवल सील्ड कवर को खोलना है, दिक्कत कहां है? SBI: सुप्रीम कोर्ट से एक स्पष्टीकरण चाहते हैं। बॉन्ड का नंबर, नाम और कितने का बॉन्ड है ये जानकारी हम अगले तीन हफ्ते मे दे सकते हैं।” इस पर CJI ने कहा कि असिस्टेंट जनरल मैनेजर ने अर्ज़ी दाखिल कर संवैधानिक कोर्ट के आदेश में छूट मांगी है। साल्वे ने बताया कि इसी अधिकारी को ये कार्य करना है। कृपया थोड़ा समय दे दें।
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