नई दिल्ली :- दुनिया के कई देशों को कर्ज का लालच देकर दिवालिया कर चुका चीन अब कुदरत के इंसाफ का सामना कर रहा है। ऐसा लग रहा है कि चीन की आर्थिक तरक्की का बुलबुला बस फूटने ही वाला है। चीन में बहुत बड़ी आर्थिक मंदी आ सकती है और ये मंदी राष्ट्रपति जिनपिंग को कहीं का नहीं छोड़ेगी। इसके वजह से जिनपिंग आर्थिक मंदी को बारूद के शोर में दबाना चाहते हैं। इसके लिए उनका टारगेट शायद ताइवान बनने जा रहा है।
कुछ लोगों का कहना है कि आज जो हालात चीन के हैं, वही हालात कभी सोवियत संघ के थे। इन हालातों ने सोवियत संघ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चीन भी उस तरफ आगे बढ़ रहा है? कुछ लोगों का कहना है कि आज जो हालात चीन के हैं, वही हालात कभी सोवियत संघ के थे। इन हालातों ने सोवियत संघ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चीन (China) भी उस तरफ आगे बढ़ रहा है? विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा नहीं है। उन्होंने सोवियत संघ से चीन की तुलना करने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि चीन, सोवियत संघ की तुलना में एक विशाल देश है। ऐसे में इसका उस तरह से पतन नहीं होगा मगर यह बात भी सच है कि देश में हालात ठीक नहीं है। इन हालातों की वजह से चीन एक बड़ी मुसीबत की तरफ बढ़ चुका है। सोवियत संघ कई देशों का एक ऐसा समूह था जिसकी अर्थव्यवस्था सन् 1980 के दशक के अंत में तेजी से ढह गई।