गुवाहाटी(अहम):- केंद्रीय बंदरगाह जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पांडु में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) बंदरगाह का दौरा किया और कामाख्या मंदिर में वार्षिक अंबुबाची मेले में भाग लेने आए भक्तों से मुलाकात की।
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि कामाख्या धाम में अंबुबाची मेले में जो भी भक्त आए हैं उनके स्वागत की सारी व्यवस्था असम सरकार के साथ-साथ भारत सरकार की बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने ली है। मैं भक्तों को कहूंगा कि मेले के दौरान वे आराम से रहें और मां के दर्शन करें। उनकी सुविधा के लिए सभी व्यवस्थाएं की गई हैं।
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम में धुबरी बंदरगाह की निर्यात-आयात गतिविधि क्षमताओं का भरपूर उपयोग करने के उद्देश्य से हितधारकों की एक बैठक में भाग लिया।
इस बैठक में बंदरगाह के सुचारू संचालन के साथ-साथ बंदरगाह का अधिकतम इस्तेमाल करने के रास्ते में आने वाली समस्याओं पर भी चर्चा की गई। इस अवसर पर श्री सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में उनका मंत्रालय देश के परिवहन क्षेत्र में सुधार के लिए लगातार काम कर रहा है।
कामाख्या मंदिर में 22 जून से शुरू होने वाले चार दिवसीय वार्षिक अंबुबाची मेले से पहले देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालुओं का गुवाहाटी पहुंचना शुरू हो गया है.
अंबुबाची मेला ऐतिहासिक कामाख्या मंदिर में आयोजित एक वार्षिक हिंदू मेला है, और यह देवी माँ कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म के उत्सव का उत्सव है। कामाख्या मंदिर असम में नीलाचल पहाड़ियों के ऊपर स्थित है और देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है।
असम सरकार और कामाख्या मंदिर प्रबंधन समिति ने इस साल के अंबुबाची मेले के लिए सभी इंतजाम कर लिए हैं। राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं के भोजन, पीने के पानी और शौचालय की सभी व्यवस्था की है और कई टेंट हाउस भी बनाए हैं।
योनि भाग की होती है पूजा
इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है, यहां पर माता सती का योनि भाग गिरा था इसलिए यहां देवी के योनि भाग की ही पूजा की जाती है जोकि शिला के रूप में विराजमान है। यहां नीलप्रस्तरमय योनि माता कामाख्या साक्षात निवास करती हैं। जो मनुष्य इस शिला का पूजन, दर्शन और स्पर्श करते हैं वे देवी कृपा तथा मोक्ष के साथ मां भगवती का सानिध्य प्राप्त करते हैं। इस शक्तिपीठ में देवी मां 64 योगनियों और दस महाविद्याओं के साथ विराजित हैं। भुवनेश्वरी, बगला, छिन्न मस्तिका, काली, तारा, मातंगी, कमला, सरस्वती, धूमावती और भैरवी एक ही स्थान पर विराजमान हैं। यूं तो सभी शक्तिपीठों का अपना महत्व है पर अन्य सभी में कामाख्या शक्तिपीठ को सर्वोत्तम माना जाता है। कलिका पुराण के अनुसार इसी स्थान पर कामदेव शिव के त्रिनेत्र से भस्म हुए तथा अपने पूर्व रूप की प्राप्ति का वरदान पाया था। यहां कामनारूपी फल की प्राप्ति होती है।