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वॉशिंगटन में आतंकी साया: ‘फ्री फलस्तीन’ के नारे के साथ हमले में इजरायली दूतावास के दो कर्मचारियों की हत्या

वाशिंगटन :- अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डी.सी. में शनिवार को घटित एक भयावह घटना ने न केवल कूटनीतिक हलकों में सनसनी फैला दी है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सुरक्षा चिंताओं को हवा दे दी है। यहूदी संग्रहालय के नजदीक स्थित एक सार्वजनिक क्षेत्र में गोलीबारी की एक अप्रत्याशित घटना ने इजरायली दूतावास के दो कर्मचारियों की जान ले ली। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावर ने गोली चलाते समय “फ्री फलस्तीन” के नारे लगाए, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि हमले की जड़ें राजनीतिक और वैचारिक विद्वेष में हैं।

 

इस जघन्य कृत्य की पुष्टि अमेरिका के होमलैंड सुरक्षा विभाग ने की है। शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, हमलावर ने पहले दूतावास कर्मियों की पहचान सुनिश्चित की और उसके बाद अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। यह पूरी घटना दिनदहाड़े, आम नागरिकों की मौजूदगी में हुई, जिससे इलाके में भगदड़ और अफरा-तफरी मच गई। पुलिस और विशेष सुरक्षा बलों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में लिया और इलाके की घेराबंदी कर दी।

 

दूतावास के दोनों मृत कर्मचारी लंबे समय से वॉशिंगटन स्थित मिशन में तैनात थे और अमेरिका-इजरायल कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। इजरायली विदेश मंत्रालय ने घटना पर गहरा शोक जताते हुए कहा कि यह हमला केवल दो व्यक्तियों पर नहीं, बल्कि इजरायल की संप्रभुता और वैश्विक कूटनीति पर किया गया सीधा वार है।

 

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी घटना की निंदा करते हुए दोषियों को कठोर सजा दिलाने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने कहा, “हम हिंसा को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमारे मित्र राष्ट्रों के प्रतिनिधियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।”

 

हमले के बाद जांच एजेंसियों ने घटनास्थल से सबूत इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। संदिग्ध हमलावर की पहचान एक कट्टरपंथी समूह से जुड़े व्यक्ति के रूप में हुई है, जो सोशल मीडिया पर फलस्तीन समर्थक और यहूदी विरोधी टिप्पणियों के लिए पहले से ही निगरानी में था। एफबीआई, होमलैंड सिक्योरिटी और लोकल पुलिस की संयुक्त टीम इस हमले को संभावित आतंकी कार्रवाई मानकर जांच कर रही है।

 

यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब इजरायल और फलस्तीन के बीच तनाव चरम पर है। गाजा पट्टी में हो रही सैन्य कार्रवाइयों और वहां के मानवीय संकट ने पूरी दुनिया में विरोध और समर्थन की दो धाराओं को जन्म दिया है। अमेरिका में भी फलस्तीन के समर्थन में कई विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं, लेकिन यह पहली बार है जब ऐसे विचारों ने हिंसक रूप लेकर किसी कूटनीतिक मिशन को निशाना बनाया है।

 

यह हमला न केवल सुरक्षा एजेंसियों के लिए चेतावनी है, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी एक गंभीर संदेश है कि वैचारिक मतभेद यदि हिंसा में बदल जाएं, तो उनके परिणाम बेहद घातक हो सकते हैं।

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