लखनऊ(उत्तर प्रदेश):- उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निकायों में कार्यरत संविदा सफाई कर्मियों के लिए न्यूनतम मजदूरी का मानक तय कर दिया है। अब अकुशल श्रमिकों को प्रतिदिन ₹412 और मासिक ₹10,712 मानदेय दिया जाएगा। यह आदेश विशेष सचिव नगर विकास विभाग अमित कुमार सिंह द्वारा सभी नगर आयुक्तों और अधिशासी अधिकारियों को भेजा गया है।
9000 सफाई कर्मियों को मिलेगा सीधा लाभ
लखनऊ नगर निगम में तैनात 12,000 संविदा कर्मियों में से 9,000 सफाई कर्मियों को इस फैसले का लाभ मिलेगा। अब तक इन कर्मियों को प्रतिदिन ₹388 मिलता था लेकिन कमीशनखोरी के चलते ठेकेदार इनका अधिकांश हिस्सा काट लेते थे। सफाई कर्मियों को केवल ₹7000 से ₹8000 के बीच भुगतान होता था। नए निर्देश के तहत अब ठेकेदारों की मनमानी पर रोक लगेगी और कर्मियों को ₹10,712 मासिक भुगतान सुनिश्चित होगा।
प्रदेश के 762 नगर निकायों पर प्रभाव
उत्तर प्रदेश में कुल 762 नगर निकाय हैं जहां हजारों संविदा सफाई कर्मी काम कर रहे हैं। लंबे समय से ये कर्मी न्यूनतम मजदूरी की मांग कर रहे थे। सरकार के निर्देश के अनुसार श्रम विभाग द्वारा तय नियमों के तहत 26 दिनों का वेतन और चार छुट्टियां दी जाएंगी।
लापरवाही पर होगी कार्यवाही
नगर विकास विभाग ने साफ निर्देश दिए हैं कि मानदेय भुगतान में किसी भी प्रकार की लापरवाही सहन नहीं की जाएगी। यदि किसी नगर निकाय में शिकायत प्राप्त होती है तो संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।
ठेकेदारी प्रथा पर प्रश्नचिन्ह
यह कदम सफाई कर्मियों को सीधा लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उठाया गया है। ठेकेदारों के कमीशन सिस्टम के कारण अब तक सफाई कर्मी अपने हक के वेतन से वंचित रह जाते थे। सरकार का यह प्रयास न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा बल्कि सफाई व्यवस्था को और सुदृढ़ करेगा।
सफाई कर्मियों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे उनके जीवन स्तर में सुधार होगा और काम के प्रति उत्साह बढ़ेगा।
उत्तर प्रदेश में इस बदलाव से नगर निकायों की कार्यक्षमता और स्वच्छता अभियान को मजबूती मिलने की उम्मीद है।