नई दिल्ली :- इंडसइंड बैंक ने दूसरी तिमाही में अपने मुनाफे में अप्रत्याशित गिरावट दर्ज की है जिसका प्रमुख कारण इसके माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट में खराब ऋणों में वृद्धि है। यह खंड 3 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों को बिना संपार्श्विक के ऋण प्रदान करता है।
शुक्रवार को सुबह 10:37 बजे तक, बीएसई पर इंडसइंड बैंक के शेयरों में 18.63% की गिरावट दर्ज की गई, जिससे शेयर का मूल्य घटकर ₹1,041.45 रह गया। इस गिरावट का मुख्य कारण बैंक की वह घोषणा रही जिसमें उसने पूरे साल के लिए अपने ऋण वृद्धि लक्ष्य को पूरा करने में असमर्थता जताई। इस घोषणा ने संकेत दिया है कि बैंक, विशेषकर माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रहा है।
बैंक ने दूसरी तिमाही में अपने लाभ में अप्रत्याशित गिरावट दर्ज की है। इसका मुख्य कारण उसके माइक्रोफाइनेंस खंड में खराब ऋणों की बढ़ती संख्या है, जो उन व्यक्तियों को बिना संपार्श्विक के ऋण प्रदान करता है जिनकी वार्षिक आय 3 लाख रुपये तक होती है। खराब ऋणों में इस वृद्धि ने बैंक की वित्तीय स्थिति को प्रभावित किया है और इसकी ऋण गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए हैं।
सुमंत कथपालिया ने कहा…
सीईओ सुमंत कथपालिया ने स्पष्ट रूप से कहा है, “जाहिर है, मुझे नहीं लगता कि हम 18 प्रतिशत से 22 प्रतिशत के विकास लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे।” उन्होंने आगे कहा, “जो कुछ हुआ है, उसे देखते हुए हमें तिमाही दर तिमाही प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।” पहली दो वित्तीय तिमाहियों में, बैंक की ऋण वृद्धि 13 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक पहुँच गई है, जो संकेत देता है कि आने वाले समय में विकास दर को लेकर बैंक को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इंडसइंड बैंक के शेयर मई 2023 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं, जिससे बैंक शेयरों में 0.8 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह निफ्टी 50 सूचकांक पर सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला शेयर बन गया है।
कथपालिया के बयान से यह स्पष्ट होता है कि बैंक के लिए वर्तमान वित्तीय माहौल में अपने विकास लक्ष्यों को हासिल करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है। खासकर जब माइक्रोफाइनेंस खंड में खराब ऋणों की संख्या बढ़ रही है, जो संभावित रूप से ग्राहक आधार और नए ऋण आवेदनों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
बैंक ने तिमाही दर तिमाही प्रदर्शन पर नज़र रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे बाजार की परिस्थितियों के अनुसार अपने रणनीतिक निर्णयों को समायोजित कर सकें। यह स्थिति न केवल बैंक की नीतियों को प्रभावित करेगी बल्कि ग्राहकों के लिए भी वित्तीय उत्पादों की उपलब्धता को प्रभावित कर सकती है।
सीईओ ने संकेत दिया है कि आने वाले समय में बैंक को अपनी जोखिम प्रबंधन रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी, ताकि वे संभावित हानियों को कम कर सकें और बेहतर वित्तीय परिणाम प्राप्त कर सकें। इसके साथ ही ग्राहक विश्वास बनाए रखने और ऋण वृद्धि को पुनः प्रोत्साहित करने के लिए भी बैंक को नए उपायों पर विचार करना होगा।
कोटक महिंद्र और आरबीएल बैंक दोनों में हुई गिरावट
कोटक महिन्द्रा बैंक और आरबीएल बैंक दोनों ने परिसंपत्ति गुणवत्ता में गिरावट की रिपोर्ट की है जिसमें मुख्य रूप से क्रेडिट कार्ड और माइक्रोफाइनेंस ऋणों में तनाव के कारण खराब ऋणों में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है।
इन बैंकों के लिए यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि खराब ऋणों की वृद्धि न केवल उनकी वित्तीय स्थिरता को प्रभावित करती है बल्कि ग्राहकों के लिए ऋण उत्पादों की उपलब्धता और ब्याज दरों को भी प्रभावित कर सकती है। दोनों बैंकों ने अपनी जोखिम प्रबंधन नीतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया है ताकि वे खराब ऋणों के प्रभाव को कम कर सकें और पुनः स्थिरता की ओर अग्रसर हो सकें।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट का सामना करने के लिए बैंकों को सटीक ग्राहक मूल्यांकन बेहतर निगरानी तंत्र और ऋण पुनर्गठन जैसे उपायों को अपनाने की आवश्यकता होगी।