ओडिशा:- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू चार दिवसीय ओडिशा यात्रा पर हैं। सोमवार सुबह वे समुद्र तट पर समय बिताने पहुंची। इसके पहले उन्होंने पुरी में वार्षिक यथ यात्रा देखी। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव भी साझा किए। श्री जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा में भाग लेने के अगले दिन उन्होंने प्रकृति के साथ बिताए अपने इस अनुभव के बारे में विचार लिखे।
एक्स पोस्ट में राष्ट्रपति ने लिखा, ऐसी जगहें हैं जो हमें जीवन का सार समझाती हैं और हमें याद दिलाती हैं कि हम प्रकृति का हिस्सा हैं। पहाड़, जंगल, नदियाँ और समुद्र तट हमारे भीतर की किसी चीज़ को कुरेदते हैं हमें आकर्षित करते हैं। आज जब मैं समुद्र तट पर टहल रही थी, तो मुझे वातावरण से एक जुड़ाव सा महसूस हुआ। मध्यम हवा, लहरों के शोर और पानी के विशाल फैलाव विचारों में खो जाने वाला अनुभव था।
उन्होंने कहा कि इससे उन्हें गहन आंतरिक शांति मिली, जैसा कि उन्होंने रविवार को भगवान जगन्नाथ के दर्शन करके महसूस किया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इस तरह का अनुभव करने वाली वे अकेली नहीं हैं। उन्होंने कहा हम सभी को ऐसा महसूस हो सकता है जब हम किसी ऐसी चीज का सामना करते हैं। ये हमसे कहीं बड़ी है, जो हमें सहारा देती है और हमारे जीवन को सार्थक बनाती है। उन्होंने कहा कि दैनिक जीवन की भागदौड़ में लोग प्रकृति से अपना संबंध खो देते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि मानव जाति मानती है कि उसने प्रकृति पर अधिकार कर लिया है और अपने अल्पकालिक लाभ के लिए उसका दोहन कर रही है और इसका परिणाम सभी देख सकते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ये संदेश दिया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने विचार साझा करते हुए सभी को एक संदेश दिया। उन्होंने लिखा है कि मेरा मानना है कि पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण की चुनौती का सामना करने के दो तरीके हैं; व्यापक कदम जो सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की ओर से उठाए जा सकते हैं, और छोटे, स्थानीय कदम जो हम नागरिकों के रूप में उठा सकते हैं। दोनों निश्चित रूप से पूरक हैं। आइए हम बेहतर कल के लिए व्यक्तिगत रूप से, स्थानीय स्तर पर जो कुछ भी कर सकते हैं, उसे करने का संकल्प लें। हम अपने बच्चों के प्रति ऋणी हैं।
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