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युद्ध मानवीय संवेदनाओं को कुचल देता है, 12 करोड़ से अधिक लोग युद्ध में विस्थापित हुए

जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड):- नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिका लेखक जॉन स्टेनबेक का मानना था “सभी युद्ध मनुष्य की विफलता हैं क्योंकि वह एक विचारशाली प्राणी है”।  हम सब इक्कीसवीं सदी में जी रहे है फिर भी हमारे आसपास कई देश आज भी युद्ध से घिरे हैं। दुनियाभर में इसी युद्ध और हिंसा ने 12 करोड़ से अधिक लोगों को विस्थापित कर दिया है। यह विस्थापन जापान देश की कुल आबादी के बराबर है।

 

 

युद्ध चाहे  रूस व यूक्रेन का हो या फिर इजराइल एवं फिलिस्तीन का, उसने हिंसा, विस्थापन और उत्पीड़न की विभीषिका के सिवाय कुछ नहीं मिला। युद्ध मानवीय संवेदनाओं को कुचल देता है, सभ्यताओं और संस्कृतियों को तार – तार कर देता है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि युद्ध, हिंसा और उत्पीड़न के कारण 12 करोड़ से अधिक लोग जबरन विस्थापित हुए हैं जो दुनिया को मानवता के लिए भयंकर कलंक है। रूस और यूक्रेन युद्ध को 840 दिन हो गए हैं, और वह आज भी युद्ध जारी है।

 

 

दूसरी तरफ, इजराइल और फिलिस्तीन युद्ध को इस साल 7 अक्टूबर को एक साल हो जाएगा। इस युद्ध में हजारों लोग मारे जा चुके हैं और गाजा में 8 हजार बच्चे भुखमरी कि चरम सीमा पर हैं। हमास आतंकवादियों ने कई इजरायली महिलाओं की अस्मत लूटी, उन्हें सेक्सुअली असॉल्ट किया। रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि पिछले साल देश के अंदर करीब 7 लाख 50 हजार नए लोग विस्थापित हुए। वहीं, यूक्रेनी शरणार्थियों की संख्या बढ़कर 60 लाख हो गई है।

 

जापान कि आबादी के बराबर लोग युद्ध से विस्थापि

जापान की आबादी 12.51 करोड़ है। युद्ध ने एक देश के बराबर आबादी को विस्थापित हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर (UNHCR) का कहना है कि वैश्विक स्तर पर जबरन विस्थापन ने फिर से रिकॉर्ड तोड़ दिया है। गाजा, सूडान और म्यांमार जैसे स्थानों में संघर्षों ने और भी अधिक लोगों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

 

यूएनएचसीआर का कहना है कि विस्थापन की आबादी जापान देश की कुल आबादी के बराबर हो गई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार महासभा का कहना है कि विस्थापन का बड़ा कारण सामूहिक संघर्ष है। यूएनएचसीआर ने रिपोर्ट में कहा कि पिछले साल के अंत में 11.73 करोड़ लोग विस्थापित हुए थे और अभी अनुमान है कि दुनिया में 12 करोड़ से अधिक लोग युद्ध में विस्थापित हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध और हिंसा से विस्थापितों की संख्या एक साल पहले 11 करोड़ थी और पिछले 12 सालों से यह लगातार बढ़ रही है। 2012 से लेकर अभी तक युद्ध, हिंसा और उत्पीड़न से विस्थापित होने वालों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है।

 

 

6.83 करोड़ लोग अपने ही देश में आतंरिक रूप से विस्थापित

(UNHCR) यूएनएचसीआर की लेटेस्ट रिपोर्ट का कहना है कि 2023 के अंत में विस्थापित होने वाले 11. 73 करोड़ लोगों में से 6.83 करोड़ लोग अपने ही देश में आंतरिक रूप से विस्थापित हुए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बीच अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरत वाले शरणार्थियों और अन्य लोगों की संख्या बढ़कर 4.34 करोड़ हो गई है।यूएनएचसीआर ने इस धारणा का भी खंडन किया कि सभी शरणार्थी और अन्य प्रवासी अमीर देशों में जाते हैं।

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश शरणार्थियों को उनके अपने पड़ोसी देशों में रखा जाता है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सूडान का गृहयुद्ध इस संख्या को बढ़ाने वाला एक प्रमुख कारक रहा है। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और म्यांमार में भी पिछले साल भयंकर लड़ाई के कारण लाखों लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए थे। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक गाजा पट्टी में 1.7 करोड़ लोग युद्ध से विस्थापित हुए हैं. यह वहां की कुल आबाजी का 75 फीसदी है। यूएनएचसीआर का कहना है कि सीरिया में दुनिया का सबसे बड़ा विस्थापन संकट बना हुआ है, जहां 1.38 लाख लोग देश के अंदर और बाहर जबरन विस्थापित हुए हैं।

 

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