मुंबई (महाराष्ट्र):- शिवसेना(UBT) सांसद संजय राउत ने कहा, “राम मंदिर राजनीति का विषय नहीं है, यह आस्था, अस्मिता और श्रद्धा का विषय है। राम मंदिर के निर्माण में हज़ारों कर सेवक शहीद हुए थे। कुछ लोग जिनका भारत 2014 के बाद बना है उन्हें इतिहास नहीं पता। ये लोग ना ही स्वतंत्रता संग्राम में रहे हैं ना ही किसी बड़े आंदोलन या संघर्ष में रहे हैं तो इन्हें राम मंदिर के संघर्ष के बारे में नहीं पता… हम हिंदुत्व के भगोड़े नहीं है, हम मैदान में डटकर रहे और आखिर तक लड़े।”
हमें किसी चेहरे के ज़रूरत नहीं है। जिस देश में तानाशाही होती है और उस तानाशाही का जो राजनीतिक दल होता है, वह दल अपने तानाशाह का चेहरा सामने लाता है। लोकतंत्र में कई चेहरे होते हैं लोग किसी को भी चुन सकते हैं।
वहीं CPI(M) नेता बृंदा करात ने कहा, “हमारी पार्टी अयोध्या में राम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं होगी। हम धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं लेकिन वे एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ रहे हैं। यह एक धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण है। यह सही नहीं हैं।”
CPI (M) नेता बृंदा करात के दिए बयान पर केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा, “सभी को निमंत्रण भेज दिया गया है लेकिन पहुंचेंगे वही जिन्हें भगवान राम ने बुलाया है।
दिखावा” दिया, बीजेपी की आलोचना में कहा गया
मोनाकोय मुस्लिम और कपिल सिब्बल ने भी राम मंदिर उद्घाटन से जुड़े पूरे मुद्दे को “दिखावा” दिया, बीजेपी की आलोचना में कहा गया कि भगवा पार्टी ने भगवान राम के जो लक्षण बताए हैं वे उनके “बिल्कुल विपरीत” हैं। उन्होंने कहा कि मेरे हृदय में राम हैं। मुझे दिखाने की ज़रूरत नहीं है। ‘मैं जो कहता हूं वह अपने दिल से कहता हूं क्योंकि मुझे इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता।’ यदि राम मेरे हृदय में हैं और राम ने मेरी पूरी यात्रा में मेरा मार्गदर्शन किया है, तो इसका मतलब यह है कि मैंने कुछ सही किया है।
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