DALYs define the burden of cancer नई दिल्ली:- कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो न केवल व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करती है बल्कि इसके आर्थिक और सामाजिक प्रभाव भी होते हैं। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि कैंसर के बोझ को कैसे मापा जाए और इसके लिए संसाधनों का आवंटन कैसे किया जाए। डेल्स (विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष) एक ऐसा संकेतक है जो कैंसर के बोझ को समझने में मदद कर सकता है।
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डेल्स एक माप है जो किसी बीमारी के कारण होने वाले जीवन के वर्षों की हानि और विकलांगता के साथ जीने वाले वर्षों की संख्या को जोड़ता है। यह संकेतक न केवल कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या को देखता है बल्कि इसके कारण होने वाली विकलांगता और जीवन की गुणवत्ता में कमी को भी ध्यान में रखता है।
कैंसर के बोझ को समझने में डेल्स की भूमिका
कैंसर के बोझ को समझने में डेल्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि कैंसर के कौन से प्रकार सबसे अधिक बोझिल हैं और कहां संसाधनों का आवंटन करने की आवश्यकता है। उदाहरण के भारत में गर्भाशय ग्रीवा और स्तन कैंसर के मामलों में डेल्स की दर अधिक है जो इन बीमारियों के बोझ को दर्शाता है।
संसाधनों का आवंटन
डेल्स के आंकड़ों के आधार पर स्वास्थ्य नीति निर्माता और शोधकर्ता संसाधनों का आवंटन कर सकते हैं। इससे उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सकती है जहां सबसे अधिक आवश्यकता है। इसके अलावा डेल्स के आंकड़े स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने में भी मदद कर सकते हैं।
भारत में कैंसर का बोझ
भारत में कैंसर एक बढ़ती हुई समस्या है। अनुमानों के अनुसार भारत में कैंसर के मामले 2025 तक 29.8 मिलियन डेल्स तक पहुंच सकते हैं। यह एक महत्वपूर्ण चुनौती है जिसका सामना करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं और संसाधनों का आवंटन करना आवश्यक है।






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