Stray dogs case नई दिल्ली:-आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को मुख्य सचिवों की वर्चुअल उपस्थिति की मांग को खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकारें अदालत के आदेशों पर सो रही हैं। कोर्ट ने साफ किया कि मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा।
कोर्ट की सख्ती
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा, “हमने उन्हें अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा था, लेकिन वे इस पर सो रहे हैं। आदेश का कोई सम्मान नहीं है। उन्हें व्यक्तिगत रूप से आकर बताना होगा कि क्यों नहीं उन्होंने हलफनामा दाखिल किया।” पीठ ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत समय बर्बाद कर रही है जबकि सरकार नियम बनाती है और कोई कार्रवाई नहीं होती।
क्यो मांगी गई थी वर्चुअल उपस्थिति
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य सचिवों को वर्चुअल उपस्थिति की अनुमति देने का अनुरोध किया था जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया। मेहता ने तर्क दिया था कि मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट दी जा सकती है लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया।
क्या है मामला
आवारा कुत्तों के हमले की कई घटनाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने कहा था कि आवारा कुत्तों को पकड़कर उन्हें नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी क्षेत्र में छोड़ दिया जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया था। हालांकि रेबीज से संक्रमित या आक्रामक कुत्तों को अलग रखा जाएगा।
राज्यों को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फटकार लगाई है जिन्होंने अभी तक अनुपालन हलफनामा दाखिल नहीं किया है। कोर्ट ने कहा कि केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने ही हलफनामा दाखिल किया है जबकि अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी ऐसा करना था।






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