लंदन :- ब्रिटेन का शाही परिवार हमेशा से अनुशासन परंपरा और गरिमा का प्रतीक माना जाता रहा है लेकिन हाल के वर्षों में प्रिंस एंड्रयू का नाम विवादों के घेरे में आने से इस छवि पर गहरी चोट पहुंची है। किंग चार्ल्स ने अपने भाई से सभी शाही उपाधियां और आधिकारिक सम्मान वापस लेने का निर्णय लिया जिससे ब्रिटेन के राजघराने में हलचल मच गई है।
प्रिंस एंड्रयू पर आरोप है कि उनके संबंध यौन अपराधी जेफरी एपस्टीन से रहे हैं। एपस्टीन पर नाबालिग लड़कियों के शोषण के गंभीर आरोप लग चुके हैं और इसी वजह से एंड्रयू की प्रतिष्ठा पर सवाल उठे। इस विवाद के बाद ब्रिटिश जनता और मीडिया ने एंड्रयू के खिलाफ नाराजगी जताई और राजघराने की साख बनाए रखने के लिए कठोर कदम की मांग की।
किंग चार्ल्स ने जब सिंहासन संभाला था तब उन्होंने साफ किया था कि शाही परिवार की मर्यादा सर्वोपरि है। इसी नीति के तहत उन्होंने यह कदम उठाया ताकि जनता का भरोसा फिर से मजबूत किया जा सके। अब एंड्रयू को किसी भी आधिकारिक समारोह या राजकीय कार्यक्रम में प्रतिनिधित्व का अधिकार नहीं रहेगा।
कभी ब्रिटिश नेवी में सेवा दे चुके एंड्रयू को जनता का प्रिय राजकुमार माना जाता था लेकिन एपस्टीन प्रकरण ने उनकी पूरी छवि बदल दी। अब वे सार्वजनिक जीवन से दूर शांत जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं।
यह घटना ब्रिटिश राजतंत्र के लिए एक बड़ा सबक है कि चाहे पद कितना भी ऊंचा क्यों न हो जब आचरण पर सवाल उठते हैं तो जवाबदेही से कोई नहीं बच सकता। सम्मान वही टिकता है जो ईमानदारी और सच्चाई पर टिका हो।






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