नई दिल्ली :- सुप्रीम कोर्ट के न्यायालय में एक घटना ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा जब वकील राकेश किशोर ने मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई पर जूता फेंका। यह घटना सुनवाई के दौरान हुई और सभी उपस्थित लोग हैरान रह गए। 72 वर्षीय राकेश किशोर को तुरंत पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पुलिस पूछताछ में उन्होंने बताया कि उनकी यह कार्रवाई न्यायाधीश की भगवान विष्णु पर की गई टिप्पणी के कारण हुई।
राकेश किशोर ने कहा कि उन्होंने भगवान विष्णु को लेकर किए गए कथन को अपने धार्मिक विश्वास के खिलाफ पाया। उन्होंने अपनी भावनाओं को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने का तरीका चुना। राकेश किशोर का कहना था कि उनके मन में न्यायालय के प्रति सम्मान है लेकिन भगवान के अपमान को वह सहन नहीं कर सकते।
इस मामले ने न्यायिक व्यवस्था में सुरक्षा और आचार संहिता के महत्व को भी उजागर किया है। कोर्ट अधिकारियों ने कहा कि किसी भी स्थिति में किसी न्यायाधीश या न्यायालय के प्रति हिंसात्मक कार्रवाई स्वीकार्य नहीं है। न्यायिक प्रक्रिया और कानून की मर्यादा का पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है।
राकेश किशोर की उम्र और मानसिक स्थिति पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में धार्मिक भावनाओं और व्यक्तिगत आस्थाओं के टकराव को दर्शाती हैं। घटना के बाद पूरे देश में चर्चा शुरू हो गई है और लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी राय व्यक्त की है।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि न्यायालय और धार्मिक आस्थाओं के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है। सरकार और कानून व्यवस्था को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में किसी भी न्यायिक अधिकारी पर हमला न हो और धार्मिक भावनाओं का सम्मान बनाए रखा जा सके।






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