CGA data नई दिल्ली:- भारत सरकार का राजकोषीय घाटा अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान 36.5% पर पहुंच गया है जो कि पूरे वित्तीय वर्ष के लक्ष्य का एक बड़ा हिस्सा है। यह जानकारी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों से मिली है।
क्या है राजकोषीय घाटा?
राजकोषीय घाटा सरकार की आय और व्यय के बीच का अंतर है। जब सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक होता है तो राजकोषीय घाटा बढ़ जाता है। इस घाटे को पूरा करने के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ता है जिससे देश के ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ता है।
आंकड़े क्या कहते हैं?
सीजीए के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान सरकार का राजकोषीय घाटा 5.73 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है जो कि पूरे वित्तीय वर्ष के लक्ष्य का 36.5% है। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में अधिक है जब राजकोषीय घाटा 29% पर था।
कारण क्या है?
विशेषज्ञों का कहना है कि राजकोषीय घाटे में वृद्धि का मुख्य कारण सरकार का बढ़ा हुआ खर्च है। सरकार ने पूंजीगत व्यय में वृद्धि की है जिसमें बुनियादी ढांचे और अन्य विकास परियोजनाओं पर खर्च शामिल है। इसके अलावा सरकार ने सामाजिक कल्याण योजनाओं पर भी खर्च बढ़ाया है।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार का कहना है कि वह राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रही है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 4.4% रखा है और वह इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।






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