Bihar elections : बिहार:-बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच संविधान को लेकर वार-पलटवार का दौर चल रहा है लेकिन दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने सहयोगियों के लिए अनुसूचित जाति (एससी) सीटों का बड़ा हिस्सा छोड़ दिया है।
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भाजपा और कांग्रेस के बीच संविधान पर वार-पलटवार
भाजपा नेताओं का आरोप है कि कांग्रेस पार्टी संविधान को बदलने की कोशिश कर रही है जबकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा पार्टी संविधान की मूल भावना को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। दोनों ही पार्टियों के नेता अपने-अपने आरोपों को सही साबित करने के लिए तर्क दे रहे हैं।
एससी सीटों का बड़ा हिस्सा सहयोगियों के लिए छोड़ा
बिहार में एससी सीटों की संख्या काफी अधिक है दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने सहयोगियों के लिए इन सीटों का बड़ा हिस्सा छोड़ दिया है। भाजपा ने अपने सहयोगी दलों जैसे कि जदयू और लोजपा (रामविलास) को एससी सीटों का एक बड़ा हिस्सा दिया है जबकि कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों जैसे कि राजद और सीपीआई (एमएल) को एससी सीटों का एक बड़ा हिस्सा दिया है।
बिहार चुनाव में एससी सीटों का महत्व
बिहार में एससी सीटों की संख्या काफी अधिक है और इन सीटों पर जीत हासिल करना किसी भी पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एससी समुदाय के मतदाताओं की संख्या भी काफी अधिक है और उनकी पसंद-नापसंद का चुनाव परिणामों पर काफी असर पड़ता है।
चुनाव आयोग की भूमिका
चुनाव आयोग ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची आयोग को सौंप दें और चुनाव प्रचार के दौरान आचार संहिता का पालन करें।






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