Assam government decision गुवाहाटी:- असम सरकार ने 1983 के नेल्ली नरसंहार पर बने टिवारी आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने का फैसला किया है। यह रिपोर्ट 40 साल से अधिक समय से गोपनीय रखी गई थी। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार ने रिपोर्ट की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के बाद इसे सदन में पेश करने का फैसला किया है।
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क्या है नेल्ली नरसंहार?
नेल्ली नरसंहार 18 फरवरी 1983 को असम के मोरिगांव जिले के नेल्ली गांव में हुआ था। इस नरसंहार में लगभग 2,000 से 3,000 लोग मारे गए थे जिनमें अधिकांश बंगाली मुसलमान थे। यह नरसंहार असम आंदोलन के दौरान हुआ था जो अवैध अप्रवासियों के खिलाफ था।
क्यों नहीं थी रिपोर्ट सार्वजनिक?
रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने के पीछे का कारण यह था कि सरकार के पास मौजूद रिपोर्ट में आयोग के अध्यक्ष के हस्ताक्षर नहीं थे। हालांकि मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार ने रिपोर्ट की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के बाद इसे सदन में पेश करने का फैसला किया है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष के नेता देवब्रत सैकिया ने कहा कि रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से वर्तमान शांति और सौहार्द को खतरा हो सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस रिपोर्ट को राजनीतिक लाभ के लिए पेश कर रही है।
सरकार का पक्ष
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार ने यह फैसला लोगों को सच्चाई से अवगत कराने के लिए किया है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से लोगों को पता चलेगा कि वास्तव में क्या हुआ था और इसके लिए कौन जिम्मेदार है।






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