नई दिल्ली. अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) का कब्जा होने के बाद लोगों में राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) के खिलाफ गुस्सा है. इस गुस्से की एक झलक उस वक्त देखने को मिली जब भारत में अफगानी एंबेसी के ट्विटर अकाउंट को कथित तौर पर हैक कर के गनी की निंदा की गई. हालांकि बाद में यह ट्वीट हटा दिया गया. भारत में अफगानी दूतावास के ट्विटर अकाउंट से लिखा गया था – ‘हमारा सिर शर्म से झुक गया है. अशरफ गनी अपने चमचों के साथ फरार हो गए. उन्होंने सब बर्बाद कर दिया है. हम एक भगोड़े के प्रति समर्पित होकर काम करने के लिए माफी मांगते हैं. उनकी सरकार हमारे इतिहास पर एक दाग होगी.’ इस ट्वीट में भारतीय विदेश मंत्रालय को भी ट्वीट किया गया था.
उधर,भारत में अफगान दूतावास के प्रेस सचिव अब्दुलहक आजाद ने दावा किया यह अकाउंट हैक हो गया था. उन एक ट्वीट में कहा- ‘अफगान दूतावास के ट्विटर हैंडल को मैं अब नहीं चला सकता. एक दोस्त ने इस ट्वीट का स्क्रीनशॉट भेजा, (यह ट्वीट मुझसे छिपाया गया है.) मैंने लॉग इन करने की कोशिश की है लेकिन इसे एक्सेस नहीं कर सकता. ऐसा लगता है कि इसे हैक कर लिया गया है.’
I have lost access to Twitter handle of @AfghanistanInIN, a friend sent screen shot of this tweet, (this tweet is hidden from me.) I have tried to log in but can’t access. Seems it is hacked. @FMamundzay @FFazly @hmohib pic.twitter.com/kcdlGMpCZ7
— Abdulhaq Azad (@AbdulhaqA) August 16, 2021
ईश्वर उन्हें जवाबदेह ठहराएं- अब्दुल्ला
गौरतलब है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार को देश छोड़कर चले गए. इसके साथ ही देशवासी और विदेशी भी युद्धग्रस्त देश से निकलने को प्रयासरत हैं, जो नये अफगानिस्तान के निर्माण के पश्चिमी देशों के 20 साल के प्रयोग की समाप्ति का संकेत है. दो अधिकारियों ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया था कि गनी हवाई मार्ग से देश से बाहर गए. दोनों अधिकारी पत्रकारों को जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं थे.
बाद में अफगान राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने एक ऑनलाइन वीडियो में इसकी पुष्टि की कि गनी देश से बाहर चले गए हैं. अब्दुल्ला ने कहा, ‘उन्होंने (गनी) कठिन समय में अफगानिस्तान छोड़ दिया, ईश्वर उन्हें जवाबदेह ठहराएं.’
गनी बोले- खून की बाढ़ से बचने के लिए मैंने सोचा कि….
भागने के बाद एक बयान में गनी ने कहा, ‘आज, मेरे सामने एक कठिन चुनाव आया; मुझे सशस्त्र तालिबान का सामना करना चाहिए जो राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करना चाहता था या प्रिय देश (अफगानिस्तान) को छोड़ना चाहिए जिसकी मैंने पिछले बीस वर्षों की रक्षा और रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.’
गनी ने लिखा, ‘अगर अभी भी अनगिनत देशवासी शहीद होते और वे काबुल शहर का विनाश देखते, तो परिणाम इस 60 लाख आबादी वाले शहर में बड़ी मानव आपदा आ जाती.’ गनी ने लिखा, ‘तालिबान ने मुझे हटाया, वे यहां पूरे काबुल और काबुल के लोगों पर हमला करने के लिए आए हैं.’
गनी ने आगे लिखा, ‘खून की बाढ़ से बचने के लिए मैंने सोचा कि बाहर निकलना ही सबसे अच्छा विकल्प है. तालिबान ने तलवार और बंदूकों का फैसला जीता है और अब वे देशवासियों के सम्मान, धन और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जिम्मेदार हैं… इतिहास में कभी भी सूखी शक्ति ने किसी को वैधता नहीं दी है और यह उनके लिए नहीं देंगे.’
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