Parliament Monsoon session: केंद्रीय मंत्रियों ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि उन्होंने विधेयकों को लेकर सत्ता पक्ष को धमकाने का काम किया। विपक्ष के हंगामे और प्रदर्शन के बीच संसद का मानसून सत्र अचानक खत्म करने के लिए सदन को मजबूर होना पड़ा।
नई दिल्ली। संसद के मॉनसून सत्र ( Parliament Monsoon Session) की समाप्ति से 2 दिन पहले राज्यसभा ( Rajya Sabha ) में हुए हंगामे को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जंग सदन से सड़क पर आ गया। गुरुवार को राहुल गांधी के नेतृत्व में पहले विपक्ष ने सड़क पर मार्च निकाल केंद्र सरकार ( Union Government ) पर निशाना साधा। बाद में सरकार की ओर से 8 केंद्रीय मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस पर विपक्ष पर पलटवार किया। केंद्रीय मंत्रियों का कहना है कि राज्यसभा चेयरमैन को इस पूरी घटना की जांच कर विपक्षी सांसदों के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए।
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माफी मांगे विपक्ष
केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि विपक्ष के सांसदों को अपने विघटनकारी और धमकी भरे व्यवहार के लिए माफी मांगनी चाहिए। विपक्ष के गलत रवैये ( Opposition attitude ) की वजह से मॉनसून सत्र ( Monsoon Session ) को तय तिथि के दो दिन पहले ही खत्म करने पर मजबूर होना पड़ा। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रियों ने विपक्षी पार्टियों के इन आरोपों को सिरे से नकारा कि आउटसाइडर्स ने महिला संसदों सहित विपक्षी नेताओं के साथ हाथापाई की। इसके बदले उन्होंने अराजकता को विपक्ष का एजेंडा करार दिया।
अराजकता पैदा करना विपक्ष का मकसद
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मानसून सत्र में विपक्ष का एकमात्र एजेंडा सड़कों से लेकर संसद तक अराजकता पैदा करना था। जो कुछ भी हुआ, वह शर्मसार करने वाला था। हम सबने देखा कि विपक्ष ने संसद में कामकाज नहीं होने दिया। घडि़याली आंसू बहाने के बजाय विपक्ष को शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए और देश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।
नए मंत्रियों को परिचय देने तक से रोका गया
केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि बुधवार से एक दिन पहले, कुछ सांसद सदन के अंदर टेबल पर चढ़ गए। उन्हें लग रहा था कि वे बहुत बड़ा काम कर रहे हैं। विपक्षी संसदों ने तो नए मंत्रियों को परिचय तक नहीं देने दिया।
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विपक्ष को भरोसे के काबिल नहीं मानता पूरा देश
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष के सांसदों का व्यवहार अशोभनीय था। उन्होंने फर्नीचर तोड़ा, दरवाजे तोड़े, मंत्रियों के हाथ से पेपर खींचे, महिला मार्शल को जख्मी किया। वे फर्नीचर पर चढ़ गए और डेस्क-कुर्सियों पर पैरों से प्रहार किए। यह व्यवहार अस्वीकार्य है। विपक्ष का ये रवैया बहुत निंदनीय है। हकीकत यह है कि विपक्ष इस तथ्य को पचा नहीं पा रहा है कि देश ने उस पर भरोसा करना बंद कर दिया है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, अर्जुन मेघवाल, वी. मुरलीधरन ने भी अपनी बातें रखीं।
केंद्रीय मंत्रियों ने विपक्ष लगाए 8 बड़े आरोप:
1. विपक्षी दलों ने पहले ही तय कर लिया था कि इस बार मॉनसून सत्र को बर्बाद करना है। इसलिए लोकसभा और राज्यसभा में काम नहीं होने दिया।
2. कोरोना, महंगाई, कृषि बिल पर सरकार चर्चा को तैयार थी, विपक्ष पेगासस पर अड़ा रहा।
3. विपक्ष के जिन 6 सांसदों को सस्पेंड किया गया था वो शीशा तोड़कर सदन में आना चाहते थे। इस दौरान महिला मार्शल को चोट लगी।
4. विपक्षी सांसदों ने 9 अगस्त को टेबल पर चढ़कर हंगामा किया गया। रूलबुक को चेयर की ओर फेंका गया। ये एक कातिलाना हमला था।
5. विपक्षी महिला सांसदों ने ही लेडी मार्शल के साथ धक्का-मुक्की की। वीडियो फुटेज में उन्हें ऐसा करते हुए साफ देखा गया है।
6. सदन में कोई आउटसाइडर्स नहीं आए। केवल 30 सुरक्षाकर्मी जो सदन के ही हैं वो मौजूद थे।
7. 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार ने दर्जनों बिल बिना चर्चा के पास किए। इसके बावजूद हमने चर्चा करने की कोशिश की।
8. विपक्ष दलों के सांसद केवल अपनी बात कहने और डिविजन के वक्त शांत रहा। शेष समय हंगामा किया गया।
महिला सांसदों पर हमले के लिए बाहर से बुलाए गए लोग : Rahul Gandhi
इससे पहले, संसद के मॉनसून सत्र (Parliament monsoon session) के अचानक समाप्त होने और राज्यसभा में कुछ महिला सांसदों पर कथित हमले के खिलाफ कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) और अन्य विपक्षी नेताओं ने गुरुवार सुबह संसद परिसर के बाहर मार्च निकाला। राहुल गांधी ने कहा कि हमें संसद के अंदर बोलने का मौका नहीं दिया गया। इसलिए हम आपसे बात करने आए हैं। सदन के अंदर लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास सरकार की ओर से किया गया। देश के 60 प्रतिशत की आवाज को कुचला गया है। राज्यसभा में बुधवार को विपक्षी सांसदों को पीटा गया। महिला सांसदों पर हमले के लिए बाहर से लोग बुलाए गए। वहीं कांग्रेस नेता शरद पवार ( Sharad Pawar ) ने महिलाओं पर हमला करने और सदन में सांसदों से हाथापाई के लिए 40 से अधिक महिला-पुरुषों को सदन में लाए जाने का आरोप लगाया।
बता दें कि 19 जुलाई से प्रारंभ हुआ संसद का मॉनसून सत्र 13 अगस्त को समाप्त होना था लेकिन विपक्ष के लगातार हंगामे और प्रदर्शन के चलते सत्र को छोटा करके बुधवार को ही खत्म करना पड़ा।
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