रांची (झारखंड):- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को झारखंड की राजधानी रांची में एक इंजीनियरिंग छात्रा के दुष्कर्म और हत्या के दोषी व्यक्ति की मौत की सजा पर रोक लगा दी। यह आदेश न्यायमूर्ति सूर्यकांत, पंकज मिथल और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने दिया। पीठ ने दोषी राहुल कुमार को मौत की सजा सुनाने वाले ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड की अनुवादित प्रति तलब की है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि दी गई मौत की सजा पर रोक बनी रहेगी और रजिस्ट्री को सॉफ्ट कॉपी के साथ ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालय से रिकॉर्ड प्राप्त करने का आदेश दिया।
यह मामला 15 दिसंबर 2016 का है जब आरोपी ने 19 साल की छात्रा के साथ पहले दुष्कर्म किया और फिर उसे गला घोंट कर मार डाला। इसके बाद आरोपी ने पीड़िता के शव को आग लगा दी। आरोपी का नाम राहुल कुमार है जो बिहार के नवादा जिले का निवासी है। झारखंड उच्च न्यायालय ने 9 सितंबर को आरोपी की मौत की सजा की पुष्टि की थी जिसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की याचिका पर सुनवाई के पहले दिन ही ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा पर रोक लगा दी और इसके साथ ही न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अधीनस्थ अदालतों से रिकॉर्ड मांगे। कोर्ट ने मामले की पूरी जानकारी एकत्रित करने के बाद ही अगले कदमों पर विचार करने की बात की है।
झारखंड उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इस अपराध को ‘घृणित कृत्य’ करार देते हुए कहा था कि पीड़िता की हत्या अत्यंत बर्बर तरीके से की गई थी। पीड़िता के शव का पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी इस बात को प्रमाणित करता है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि आरोपी ने पीड़िता को गला घोंटने के लिए केबल कॉर्ड और बिजली के तार का इस्तेमाल किया और उसे जलाने के लिए लुब्रिकेंट ऑयल का इस्तेमाल किया।
हाईकोर्ट ने मामले को शैतानी ढंग से योजनाबद्ध और बेरहमी से अंजाम दिया गया अपराध बताया। साक्ष्य से यह भी पता चला कि आरोपी ने पीड़िता का पीछा किया था और उसकी हत्या को अंजाम देने के बाद वह मौके से फरार हो गया था। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि यह कोई अचानक हुआ अपराध नहीं था बल्कि यह पहले से सोच-समझकर किया गया था।