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खाद्य पदार्थों का निर्माण, बिक्री या वितरण करना एक गंभीर अपराध

नई दिल्ली :- फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट (fssai) 2006 के तहत यदि कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य पदार्थों का निर्माण, बिक्री या वितरण करता पाया जाता है तो यह एक गंभीर अपराध माना जाएगा। भारत में खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या आम है खासतौर पर मसाले, दूध, घी और तेल जैसी चीजों में। आइए जानते हैं कि अगर कोई मिलावटखोर पकड़ा जाता है तो भारतीय कानून के तहत उसे कितनी सजा मिल सकती है।

मिलावटखोरी के नियम-कानून

भारत में मिलावटखोरी और खाद्य सुरक्षा से जुड़े मामलों के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 लागू है। इसके तहत, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के नियमों का पालन किया जाता है। इस कानून का उद्देश्य भारतीय खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। कानून के अनुसार, खाद्य पदार्थों में मिलावट गैरकानूनी है और दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाती है।

सजा का प्रावधान

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य उत्पादों का निर्माण या बिक्री करता है तो उसे गंभीर अपराध माना जाएगा। ऐसे मामलों में, दोषी व्यक्ति पर जुर्माना, सजा या दोनों का प्रावधान है। जुर्माना 1 लाख रुपये तक हो सकता है जबकि अपराध की गंभीरता को देखते हुए सजा 6 महीने से लेकर 7 साल तक हो सकती है। यदि मिलावटी खाद्य पदार्थ का सेवन करने से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो दोषी को आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा हो सकती है।

IPC की धारा 272 और 273 के तहत सजा

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के अलावा भारतीय दंड संहिता (IPC) में भी मिलावटखोरी से जुड़े अपराधों के लिए सख्त दंड का प्रावधान है। IPC की धारा 272 और 273 के तहत यदि कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचता है जिससे किसी की जान को खतरा नहीं होता तो यह धोखाधड़ी के अंतर्गत आता है। ऐसे मामलों में दोषी व्यक्ति को 6 महीने से 2 साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है।

जबकि यदि मिलावटी खाद्य पदार्थ से किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ जाती है किसी बीमारी का प्रसार होता है या किसी की जान को गंभीर खतरा पैदा होता है तो यह एक गंभीर अपराध माना जाएगा। ऐसे मामलों में दोषी व्यक्ति को 3 से 7 साल तक की सजा और भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।

मिलावटखोरी पर सख्त कानून की जरूरत

भारत में मिलावटखोरी की समस्या आम होती जा रही है, जो लोगों के स्वास्थ्य और जीवन के लिए गंभीर खतरा है। ऐसे में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 और भारतीय दंड संहिता के प्रावधान इस अपराध पर सख्ती से कार्रवाई करने के लिए बनाए गए हैं। कानून का पालन और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाना जरूरी है ताकि मिलावटखोरी जैसी कुप्रथा पर रोक लगाई जा सके और आम जनता के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।

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