कर्नाटक (बंगलूरू ):- कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्वीकार किया है कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस द्वारा दी गई पांच गारंटियों (समान्य रूप से चुनावी वादे) को लागू करने की वजह से राज्य के खजाने पर भारी दबाव पड़ा है। इन गारंटियों में महिलाओं को 2,000 रुपये प्रति माह, बेरोजगारों को 3,000 रुपये का भत्ता, किसानों को 10,000 रुपये की वार्षिक सहायता मुफ्त बिजली और 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा शामिल था। इन योजनाओं के लागू होने से राज्य के वित्तीय संसाधनों पर दबाव पड़ा है जिससे कर्नाटक का खजाना खस्ताहाल हो गया है।
सिद्धारमैया ने भाजपा के आरोपों का खंडन किया कि कांग्रेस शासित अन्य राज्य जैसे हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के कारण सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है और उनका कहना था कि कर्नाटक की सरकार ने इन योजनाओं को लागू करने के बावजूद राज्य के वित्तीय स्थिरता को बनाए रखा है।
सिद्धारमैया ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि चाहे खजाना खस्ताहाल हो लेकिन कांग्रेस सरकार अपनी गारंटी को वापस नहीं लेगी। उनका कहना था हमने जो वादे किए हैं उन वादों को पूरा करना हमारी प्राथमिकता है और हम किसी भी हाल में इन्हें पूरा करेंगे।
इस बयान से यह साफ हो गया है कि कर्नाटक सरकार गारंटी योजनाओं को लेकर दृढ़ संकल्पित है और किसी भी आलोचना या वित्तीय चुनौती के बावजूद इन योजनाओं को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।