जयपुर (राजस्थान):- राजस्थान की मशहूर सांभर झील से एक बार फिर चिंताजनक खबर सामने आई है। झील में रहस्यमय तरीके से 520 प्रवासी पक्षियों की मौत हो गई है, जबकि 235 पक्षी बीमार पाए गए हैं, जिनका इलाज फिलहाल जारी है। ये प्रवासी पक्षी हर साल हजारों किलोमीटर का सफर तय करके यहां आते हैं, लेकिन इस बार इतने बड़े पैमाने पर उनकी मौत ने सबको हैरान कर दिया है।
एवियन बोटुलिज़्म की आशंका अधिकारियों का मानना है कि पक्षियों की मौत का संभावित कारण एवियन बोटुलिज़्म हो सकता है। यह एक प्रकार का बैक्टीरिया संक्रमण है, जो दूषित जल और भोजन से फैलता है। बीमार पक्षियों का इलाज किया जा रहा है और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। नावां उपखंड अधिकारी जीतू कुलहरि ने बताया कि, “हमने जैसे ही इस घटना की जानकारी पाई, हमने तुरंत कार्रवाई शुरू की। पक्षियों की हालत पर लगातार नज़र रखी जा रही है और सभी संभावित कारणों की जांच की जा रही है।”
2019 की त्रासदी की यादें ताजा यह घटना 2019 में हुई त्रासदी की याद दिलाती है, जब इसी सांभर झील में हज़ारों पक्षियों की अकाल मौत हो गई थी। उस समय भी एवियन बोटुलिज़्म को ही मौत का कारण माना गया था। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि इस बार ऐसी स्थिति न बने, इसके लिए पहले से ही सतर्कता बरती जा रही थी, लेकिन फिर भी इस घटना ने सभी को चौंका दिया है।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई जैसे ही पक्षियों की मौत की खबर आई, प्रशासन की टीमों ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया। घायल पक्षियों को पशु चिकित्सालय ले जाया गया, जहां विशेषज्ञों की टीम उनका इलाज कर रही है। हालांकि, गंभीर हालत में पाए गए कुछ पक्षियों ने प्राथमिक उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। प्रशासन का कहना है कि झील के आसपास कड़ी निगरानी रखी जा रही है और जल और मिट्टी के नमूनों की जांच भी की जा रही है, ताकि मौत का असली कारण पता लगाया जा सके।
प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा पर सवाल हर साल हजारों प्रवासी पक्षी इस झील में प्रवास करते हैं, लेकिन लगातार हो रही इन घटनाओं ने उनकी सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पर्यावरणविदों और वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि प्रशासन को झील की नियमित जांच करनी चाहिए और पानी की गुणवत्ता को लेकर सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
आगे की जांच और संभावित उपाय वन विभाग और पशु चिकित्सा टीम मिलकर इस घटना की गहन जांच कर रहे हैं। एवियन बोटुलिज़्म की पुष्टि होने पर आगे बचाव के उपाय किए जाएंगे और झील की सफाई पर ध्यान दिया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि झील में जमा हो रहे प्रदूषक तत्व और पानी की गुणवत्ता में गिरावट पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने एक बार फिर से पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों की सुरक्षा की दिशा में गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ही उचित कार्रवाई करेगा और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने में सफल होगा।