श्रीनगर (जम्मू कश्मीर):- श्रीनगर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा का पहला सत्र ऐतिहासिक है। यह सत्र एक नए दौर की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है जिसमें नए जम्मू-कश्मीर के निर्माण और विकास के मुद्दों पर चर्चा हो रही है। लेकिन इस सत्र के शुरुआती दिनों में ही सदन में पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहसें देखने को मिल रही हैं जो वहां के राजनीतिक वातावरण की जटिलता को उजागर करती हैं।
तीसरे दिन के सत्र में विपक्ष ने सरकार पर कई मुद्दों पर सवाल उठाए जिनमें सुरक्षा, रोजगार और स्थानीय जनता के अधिकारों से जुड़े मुद्दे शामिल थे। विपक्ष ने आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद सरकार ने जनता के हितों का सही से ध्यान नहीं रखा है और स्थानीय युवाओं को पर्याप्त रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं। इसके जवाब में सरकार ने विकास परियोजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर का काम तेजी से बढ़ा है।
हंगामा इतना बढ़ गया कि कई बार सदन की कार्यवाही को रोकना पड़ा और स्थिति को संभालने के लिए मार्शलों को हस्तक्षेप करना पड़ा। विपक्ष के विधायकों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और नारेबाजी की जिससे सदन का माहौल तनावपूर्ण हो गया।
विधानसभा अध्यक्ष ने दोनों पक्षों से शांतिपूर्ण और सार्थक चर्चा का आह्वान किया लेकिन दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़े रहे। सत्तारूढ़ दल के सदस्यों का कहना था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में विकास का एक नया युग शुरू हुआ है जिससे आम जनता को लाभ मिलेगा। इसके विपरीत विपक्ष का तर्क था कि इन बदलावों का स्थानीय जनता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
इस सत्र में पर्यटन, कृषि, उद्योग, और स्थानीय शिक्षा जैसे विषयों पर भी बहस की संभावना है जो जम्मू-कश्मीर की जनता के लिए सीधे तौर पर महत्वपूर्ण हैं। साथ ही इस सत्र से उम्मीद की जा रही है कि यह राज्य में स्थिरता और विकास के नए मार्ग खोलने में सहायक होगा।