नई दिल्ली :- भारतीय सेना ने आज के दिन ही साल 1987 में ऑपरेशन पवन शुरू किया था। यह भारतीय सेना के इतिहास का सबसे मुश्किल ऑपरेशन माना जाता है। एक अनुमान के अनुसार भारत के 1200 सैनिक इसमें मारे गए थे और 3000 से ज्यादा सैनिक घायल हुए थे। इसी ऑपरेशन के चलते राजीव गांधी की हत्या भी हुई थी। हालांकि, भारत सरकार इसके लिए मजबूर थी, लेकिन जैसे-जैसे यह ऑपरेशन आगे बढ़ा तो यह कहा जाने लगा कि बेहतर होता अगर यह ऑपरेशन शुरू ही न किया गया होता। आइए जानते हैं कि ऐसा क्या हुआ, जो इस ऑपरेशन को एक गलत फैसले के रूप में देखा जाने लगा।
श्रीलंका में तमिल आबादी अल्पसंख्यक थी, जबकि सिंहली आबादी बहुसंख्यक थी। ऐसे में श्रीलंका की सरकार पर तमिल आबादी के साथ भेदभाव करने के आरोप लगे। तमिल लोगों ने इसकी शिकायत की, लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इससे परेशान होकर श्रीलंकाई तमिलों ने अलग देश की मांग शुरू कर दी। श्रीलंकाई सरकार ने सेना के दम पर इसे दबाने का प्रयास किया तो विद्रोह उग्र हो गया। ऐसे में तमिल शरणार्थी भारत के तमिलनाडु में आकर बसने लगे।
भारत सरकार की मजबूरी
श्रीलंकाई शरणार्थियों की बढ़ती संख्या से परेशान होकर भारत सरकार ने श्रीलंका के साथ समझौता किया। इस समझौते के तहत भारतीय सेना को श्रीलंका में शांति समझौता कर विद्रोह खत्म करना था।