नई दिल्ली :- आठ अक्टूबर को नतीजे दो राज्यों हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के आए। लेकिन चर्चा हरियाणा की अधिक हो रही है। दरअसल हरियाणा में जब तक रुझान में कांग्रेस 60 के पार नजर आ रही थी उसके सहयोगी दल कुछ भी नहीं बोले। आंकड़ा 40 के नीचे आते ही शिवसेना यूबीटी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने चुभने वाली बात कहीं। उन्होंने कहा कि ऐसा क्या होता है कि बीजेपी से सीधी फाइट में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। सवाल तो अब सवाल लिहाजा कई तरह की बातें सियासी गलियारे में चल पड़ी कि महाराष्ट्र में शीट शेयरिंग को दिमाग में रखकर इस तरह की बात कही गई है। प्रियंका चतुर्वेदी के बयान से असहज कांग्रेस ने सिर्फ इतना कहा कि गठबंधन धर्म की कुछ मर्यादा होती है अच्छा रहा होता कि वो इस बात को देखतीं। लेकिन वो कुछ भी नहीं कहेंगे।
यह तो चुनावी नतीजे वाले दिन की बात है। अब सामना के संपादकीय में लिखा गया कि जीत को हार में बदलना भी कला है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चौंकाने वाले हैं। हरियाणा में कांग्रेस की हार का कारण अति आत्मविश्वास माना जा रहा है। कोई भी यह साफ तौर पर यह मान रहा था कि भाजपा हरियाणा में सत्ता में वापस आएगी।
कुल मिलाकर माहौल से लग रहा था कि कांग्रेस निर्णायक जीत हासिल करेगी। लेकिन जीत को हार में कैसे बदला जाए, यह कला कांग्रेस से सीखी जा सकती है। सामना ने कहा कि हरियाणा में भाजपा विरोधी माहौल था। संपादकीय में आगे कहा गया, हालात ऐसे थे कि भाजपा के मंत्रियों और उम्मीदवारों को हरियाणा के गांवों में घुसने नहीं दिया।