इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश):-इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश (UP) के डीजीपी(DGP) को निर्देश दिया है कि वह जिलों के पुलिस अधिकारियों को आवश्यक परिपत्र जारी करें जिसमें धारा 182 आईपीसी(IPC) और बीएनएस (BNS) 2023 की धारा 217 पर विचार किया जाए। इसके अलावा प्रावधानों के आह्वान के संबंध में टिप्पणियों पर विचार किया जाए।
उच्च न्यायालय ने एससी (SC)/एसटी (ST) अधिनियम के दुरुपयोग पर चिंता जताई है जो पीड़ितों को राहत प्रदान करने के लिए बनाया गया था। लेकिन कुछ व्यक्ति मुआवज़े के लिए इस अधिनियम का दुरुपयोग कर रहे हैं। एफआईआर (FIR) दर्ज करने से पहले शिकायतों की जांच करना आवश्यक है जिससे 1989 के कानून के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा।
उच्च न्यायालय के इस फैसले से फर्जी हरिजन अधिनियम लिखवाने वालों को बड़ा झटका लगा है। अब पुलिस अधिकारियों को इस मामले में सख्ती से कार्रवाई करनी होगी।
*फर्जी हरिजन अधिनियम के दुरुपयोग के कारण*
– मुआवज़े के लिए अधिनियम का दुरुपयोग
– फर्जी शिकायतें दर्ज करना
– निर्दोष लोगों को परेशान करना
*उच्च न्यायालय के निर्देश*
– जिलों के पुलिस अधिकारियों को आवश्यक परिपत्र जारी करें
– धारा 182 आईपीसी (IPC)और बीएनएस (BNS) 2023 की धारा 217 पर विचार करें
– प्रावधानों के आह्वान के संबंध में टिप्पणियों पर विचार करें
– एससी (SC)/एसटी (ST) अधिनियम के दुरुपयोग पर सख्ती से कार्रवाई करें
इस फैसले से उत्तर प्रदेश में फर्जी हरिजन अधिनियम लिखवाने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई होगी और निर्दोष लोगों को परेशान करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।