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धरती पर होता राक्षसों का राज, यदि विष्णु न लेते वामन अवतार

भगवान विष्णु के 10 प्रमुख अवतारों में से उनका वामन रूप में अवतार न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि रोचक भी है। पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपना यह पांचवां अवतार भादो महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को लिया था।

इस तिथि को वामन द्वादशी भी कहते है और भगवान वामन की जयंती के रूप में मनाते हैं। इस साल भगवान वामन की जयंती 15 सितंबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं, हिन्दू धर्म वामन में अवतार का क्या महत्व है और भगवान विष्णु के इस अवतार से जुड़ी कथा क्या है?

क्या कहता है पुराण?

भागवत पुराण के अनुसार, वामन भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से 5वें अवतार वामन त्रेता युग में पहले अवतार थे। वामन अवतार भगवान विष्णु का मनुष्य रूप में पहला अवतार है। इस अवतार से पहले भगवान विष्णु के चार अवतार पशु रूप में थे। ये हैं: मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार और नरसिंह अवतार। पुराण के अनुसार, भगवान वामन ने भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष द्वादशी को अभिजित मुहूर्त में माता अदिति और कश्यप ऋषि के पुत्र के रूप में जन्म लिया था।

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