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लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने मणिपुर के राज्यपाल पद की ली शपथ

इंफाल (मणिपुर):-  लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने मणिपुर के राज्यपाल पद की शपथ ली। उन्हें असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया है और उन्हें मणिपुर के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है।  मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति  सिद्धार्थ मृदुल ने शपथ दिलाई।

लक्ष्मण प्रसाद आचार्य 30 जुलाई को इंफाल पहुंचे थे। यहां मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, अध्यक्ष सत्यब्रत सिंह, विभिन्न मंत्रियों, विधायकों, मुख्य सचिव डॉ विनीत जोशी, सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, डीजीपी राजीव सिंह ने लक्ष्मण प्रसाद आचार्य स्वागत किया

इससे पहले 30 जुलाई को मंगलवार दोपहर गुवाहाटी में असम के राज्यपाल पद की शपथ ली थी। गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई ने श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, कैबिनेट मंत्रियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में शपथ दिलाई।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर ने बुधवार को सिक्किम के 16वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली। यहां राजभवन में आयोजित एक समारोह में सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विश्वनाथ सोमेद्दर ने माथुर (72) को पद की शपथ दिलाई। माथुर ने लक्ष्मण प्रसाद आचार्य का स्थान लिया है और सिक्किम के राज्यपाल का पद संभालेंगे, जबकि लक्ष्मण प्रसाद को असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। शपथ ग्रहण समारोह में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, अन्य मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। माथुर राज्यसभा के पूर्व सदस्य भी हैं।

राज्यपाल की शक्तियां एवं कार्य

संपरीक्षा प्रतिवेदन: भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के किसी राज्य के लेखाओं संबंधी प्रतिवेदनों को उस राज्य के राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जो उनको राज्य के विधान मण्डल के समक्ष रखवाएगा ।

राज्यों के राज्यपाल:- प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा । परन्तु इस अनुच्छेद की कोई बात एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों के लिए राज्यपाल नियुक्त किये जाने से निवारित नहीं करेगी ।

अनुच्छेद 154. राज्य की कार्यपालिका शक्ति:

(1) राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।

(2) इस अनुच्छेद की कोई बात-

(1) किसी विद्यमान विधि द्वारा किसी अन्य प्राधिकारी को प्रदान किये गये कृत्य राज्यपाल को अंतरित करने वाली नहीं समझी जाएगी।

(2) राज्यपाल के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी को विधि द्वारा कृत्य प्रदान करने से संसद या राज्य के विधान-मण्डल को निवारित नहीं करेगी ।

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