मुंबई (महाराष्ट्र):- शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा, “सरकार की तिजोरी में पैसा नहीं है। महाराष्ट्र सरकार के ऊपर 8 लाख करोड़ का कर्जा है और लोकसभा चुनाव हारने के बाद एकनाथ शिंदे-अजित पवार-देवेंद्र फडणवीस की टोली को लाडली बहनें और लाडले भाई याद आए हैं। सबसे ज्यादा जरूरत लाडली बहनों को है जो घर चला रही हैं और छोटे-बड़े भाई महाराष्ट्र में बेरोजगार बैठे हैं। लाडली बहनों को 10 हजार रुपए दीजिए। दरअसल इन चुनावी जुमलों से जनता को पता चल चुका है कि चुनाव के बाद उनकी(महायुति) दुकान बंद होने वाली है।”
उम्मीदवार प्रशिक्षण लेंगे और नौकरी पाएंगे। साथ ही, प्रशिक्षित जनशक्ति से उद्योग को भी लाभ होगा। इस प्रशिक्षण का वित्तपोषण राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। इतिहास में यह पहली बार है कि राज्य सरकार ने ऐसी योजना शुरू की है। बेरोजगारी के बारे में चिंताओं का उल्लेख करते हुए शिंदे ने जोर देकर कहा कि इस पहल का उद्देश्य समाधान प्रदान करना है।
उन्होंने कहा, “उद्योग में युवाओं के प्रशिक्षण के दौरान राज्य सरकार मानदेय का भुगतान करेगी।” ‘मुख्यमंत्री मांझी लाड़की बहिन’ योजना के तहत 21 से 60 वर्ष की विवाहित, तलाकशुदा और निराश्रित महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह मिलेंगे, लाभार्थियों की वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये तक सीमित होनी चाहिए।
सीएम शिंदे ने ‘आषाढ़ी एकादशी’ के अवसर पर सोलापुर जिले के पंढरपुर में नयी योजना की व्यापक विशेषताओं की घोषणा की। उन्होंने कहा, “कुछ लोगों ने कहा कि ‘लाड़की बहिन योजना’ (महिलाओं के लिए) शुरू की गई है। ‘लाड़का भाऊ’ के बारे में क्या हम अब लाड़का भाऊ के लिए एक योजना की घोषणा कर रहे हैं, जिसके तहत 12वीं पास नौकरी चाहने वालों को 6,000 रुपये, डिप्लोमा वालों को 8,000 रुपये और स्नातक की डिग्री वालों को 10,000 रुपये मिलेंगे। उन्हें उद्योग में ‘नौकरी के साथ प्रशिक्षण’ के दौरान सरकार की ओर से यह मानदेय मिलेगा।”