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अदम्य साहस और अटूट कर्तव्यनिष्ठा के पर्याय थे कैप्टन मनोज कुमार

कारगिल युद्ध:-  कारगिल युद्ध के नायक, अदम्य साहस और अटूट कर्तव्यनिष्ठा के पर्याय, ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय को उनकी जयंती पर उन्हें शत- शत नमन! भारत भूमि के के वीर जवानों ने एक नहीं कई बार पाकिस्तानी सेना को मिट्टी में मिलाया है। आज हम बात कर रहे हैं कारगिल युद्ध में अपने अदम्य साहस और नेतृत्व का परिचय देने वाले कैप्टन मनोज कुमार पांडे के बारे में, जिन्हें दुनिया जाने के बाद परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। मनोज पांडे 3 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे। शहीद होने से पहले उन्होंने पाकिस्तान के तीन बंकरों को ध्वस्त कर दिया था।

 *उत्तर प्रदेश के सीतापुर में जन्मे थे मनोज पांडे

गोरखा राइफल के कैप्टन मनोज पांडे का जन्म आज के ही दिन यानी 25 जून 1975 को उत्तर प्रदेश के सीतापुर के रुधा गांव में हुआ था। बचपन के कुछ साल मनोज पांडे ने अपने गांव में ही बिताए थे। इसके कुछ समय बाद उनका परिवार लखनऊ में शिफ्ट हो गया था। यहां उनका दाखिला सैनिक स्कूल में काराया गया था। स्‍कूल के बाद उनके पास अपना करियर बनाने के लिए कई ऑप्‍शन थे, लेकिन उन्होंने सेना को चुना।

उन्‍होंने ठान लिया था कि वे सेना में ही जाएंगे। इसलिए वे सुबह जल्दी जागते, कसरत करते इसके बाद बाकी के काम करते थे। उन्‍होंने NDA में हिस्‍सा लिया और सफलता हासिल की। एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि सेना में क्‍यों आना चाहते हो, तो उनका जवाब था मैं परमवीर चक्र जीतना चाहता हूं।

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