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साधना के बाद पीएम मोदी ने देशवासियों को लिखी चिट्ठी, बोले – मेरी आंखें नम हो रही थीं…मैं शून्यता में जा रहा था

नई दिल्ली:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को तमिलनाडु के कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर 45 घंटों की मेडिटेशन पूरी की। उन्होंने शनिवार को अपनी 45 घंटों की मेडिटेशन के बारे में एक पत्र लिखा है। बता दें कि पीएम मोदी ने 30 मई को अपनी यह मेडिटेशन शुरू की थी जो 1 जून तक लगभग 45 घंटों तक चली थी। अपने पत्र में पीएम मोदी ने कन्याकुमारी में अपनी साधना के बारे में भी बताया है. तो चलिए आपको बताते हैं प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) के पत्र की 10 मुख्य बातें।

 

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे मंगलवार को सामने आ जाएगा और साफ हो जाएगा कि देश में अगली सरकार किसकी बनने जा रही है. देश की 543 सीटों पर सात चरणों में मतदान हुआ है, जिसमें बाद आए एग्जिट पोल ये संकेत दे रहे हैं कि देश में फिर एक बार मोदी सरकार आ रही है।

 

इन चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के लिए जमकर चुनाव प्रचार किया। एक ही दिन में तीन-तीन राज्‍यों में जनसभाओं को संबोधित किया। हालांकि, सातवें चरण का प्रचार खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी 30 मई को तमिलनाडु के कन्याकुमारी गए और वहां विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 45 घंटे की ध्यान साधना में लीन हो गए। वो एक जून की शाम वापस दिल्ली लौटे और फिर कार्यक्रमों में जुट गए। कन्याकुमारी से दिल्ली लौटते वक्त पीएम मोदी ने ध्यान से जुड़े अनुभवों को लेकर एक लेख लिखा, जिसे अब सार्वजनिक किया गया है. आप भी पढि़ए ये लेख…

 

मेरे प्यारे देशवासियों,

लोकतंत्र की जननी में लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व का एक पड़ाव आज 1 जून को पूरा हो रहा है। तीन दिन तक कन्याकुमारी में आध्यात्मिक यात्रा के बाद, मैं अभी दिल्ली जाने के लिए हवाई जहाज में आकर बैठा ही हूं…काशी और अनेक सीटों पर मतदान चल ही रहा है। कितने सारे अनुभव हैं, कितनी सारी अनुभूतियां हैं। मैं एक असीम ऊर्जा का प्रवाह स्वयं में महसूस कर रहा हूं।

 

वाकई, 24 के इस चुनाव में, कितने ही सुखद संयोग बने हैं। अमृतकाल के इस प्रथम लोकसभा चुनाव में मैंने प्रचार अभियान 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणास्थली मेरठ से शुरू किया। माँ भारती की परिक्रमा करते हुए इस चुनाव की मेरी आखिरी सभा पंजाब के होशियारपुर में हुई। संत रविदास जी की तपोभूमि, हमारे गुरुओं की भूमि पंजाब में आखिरी सभा होने का सौभाग्य भी बहुत विशेष है। इसके बाद मुझे कन्याकुमारी में भारत माता के चरणों में बैठने का अवसर मिला।

 

रैलियों में, रोड शो में देखे हुए अनगिनत चेहरे मेरी आंखों के सामने आ रहे थे। माताओं-बहनों-बेटियों के असीम प्रेम का वो ज्वार, उनका आशीर्वाद…उनकी आंखों में मेरे लिए वो विश्वास, वो दुलार…मैं सब कुछ आत्मसात कर रहा था। मेरी आंखें नम हो रही थीं…मैं शून्यता में जा रहा था, साधना में प्रवेश कर रहा था।

 

इतने बड़े दायित्वों के बीच ऐसी साधना कठिन होती है, लेकिन कन्याकुमारी की भूमि और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा ने इसे सहज बना दिया। मैं सांसद के तौर पर अपना चुनाव भी अपनी काशी के मतदाताओं के चरणों में छोड़कर यहाँ आया था। मैं ईश्वर का भी आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे जन्म से ये संस्कार दिये। मैं ये भी सोच रहा था कि स्वामी विवेकानंद जी ने उस स्थान पर साधना के समय क्या अनुभव किया होगा! मेरी साधना का कुछ हिस्सा इसी तरह के विचार प्रवाह में बहा।

 

भारत के कल्याण से विश्व का कल्याण, भारत की प्रगति से विश्व की प्रगति, इसका एक बड़ा उदाहरण हमारी आज़ादी का आंदोलन भी है। 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ. उस समय दुनिया के कई देश गुलामी में थे। भारत की स्वतन्त्रता से उन देशों को भी प्रेरणा और बल मिला, उन्होंने आजादी प्राप्त की। अभी कोरोना के कठिन कालखंड का उदाहरण भी हमारे सामने है। जब गरीब और विकासशील देशों को लेकर आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं, लेकिन, भारत के सफल प्रयासों से तमाम देशों को हौसला भी मिला और सहयोग भी मिला। आज भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के कई देशों के लिए एक उदाहरण बना है। सिर्फ 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर निकलना अभूतपूर्व है. प्रो-पीपल गुड गवर्नेंस, जैसे अभिनव प्रयोग की आज विश्व में चर्चा हो रही है। गरीब के सशक्तिकरण से लेकर लास्ट माइल डिलीवरी तक, समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को प्राथमिकता देने के हमारे प्रयासों ने विश्व को प्रेरित किया है। भारत का डिजिटल इंडिया अभियान आज पूरे विश्व के लिए एक उदाहरण है कि हम कैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल गरीबों को सशक्त करने में, पारदर्शिता लाने में, उनके अधिकार दिलाने में कर सकते हैं। भारत में सस्ता डेटा आज सूचना और सेवाओं तक गरीब की पहुँच सुनिश्चित करके सामाजिक समानता का माध्यम बन रहा है।

 

स्वामी विवेकानंद ने 1897 में कहा था कि हमें अगले 50 वर्ष केवल और केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करने होंगे। उनके इस आह्वान के ठीक 50 वर्ष बाद, 1947 में भारत आज़ाद हो गया। आज हमारे पास वैसा ही स्वर्णिम अवसर है। हम अगले 25 वर्ष केवल और केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करें। हमारे ये प्रयास आने वाली पीढ़ियों और आने वाली शताब्दियों के लिए नए भारत की सुदृढ़ नींव बनकर अमर रहेंगे।

 

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