नई दिल्ली :- विश्वकप की शुरुआत से पहले शायद ही किसी ने यह सोचा होगा कि टीम इंडिया लगातार 10 मैच में जीत दर्ज की है। टूर्नामेंट की शुरुआत से पहले टीम के चयन को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे।
टीम में केएल राहुल, श्रेयस अय्यर की जगह पर सवाल खड़े हो रहे थे। लंबी चोट के बाद टीम में वापसी कर रहे केएल राहुल को टीम में लिए जाने और उन्हें ईशान किशन से ऊपर वरीयता देने को लेकर विवाद हो रहा था। यहां तक कि श्रेयस अय्यर को टीम में जगह दिए जाने और संजू सैमसन को नजरअंदाज करने पर सवाल खड़ा हो रहा था। आखिरी समय पर अक्षर पटेल टीम से बाहर हुए, उनकी जगह आर अश्विन को टीम में जगह मिली।
ऐसे में क्रिकेट के एक्सपर्ट अलग-अलग तरह की राय दे रहे थे कि बहुत ही कम एक्सपर्ट थे जिन्हे लगता था कि भारतीय टीम विश्वकप के फाइनल में पहुंचेगी।
लेकिन जिस तरह से भारतीय टीम ने क्रिकेट के मैदान में अपना वर्चस्व दिखाया उसने मौजूदा टीम को भारतीय टीम के सर्वश्रेष्ठ टीम की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। हार किसे पसंद होती है, यकीन मानिए जब कोई टीम इतना अच्छा खेलकर हारती है तो सबसे ज्यादा दुख टीम के खिलाड़ियों को होता है।
लेकिन खेल के मैदान पर हर खिलाड़ी अपना सबकुछ झोंकता है ताकि वह टीम को जीतता हुआ देख सके। फाइनल में जब टीम इंडिया को हार मिली तो साफ तौर पर खिलाड़ियों की मायूसी और निराशा को देखा जा सकता था। कुछ खिलाड़ियों के आंखें नम थी।
बहुत कम लोगों ने ध्यान दिया होगा जब ऑस्ट्रेलिया ने मैच में जीत दर्ज की तो कंगारू टीम के खिलाड़ी मैदान में जश्न मना रहे थे। उस दौरान मायूस रवींद्र जडेजा स्टंप से गिल्लियां गिरा रहे थे, उनकी यह तस्वीर काफी कुछ बयां करती है। यह तस्वीर दर्शाती है कि किस कदर जडेजा इस हार से टूटे हैं, किस तरह से उनका सपना टूटा है।