नई दिल्ली :- आचार्य चाणक्य को विश्व के श्रेष्ठ विद्वान माना जाता है। वह उत्तम रणनीतिकार और मार्गदर्शक भी थे। जिनके कारण ही मगध पर मौर्य वंश की स्थापना हुई थी।चाणक्य ने नीति शास्त्र में धन को लेकर एक महत्वपूर्ण नीति बताई है।
धन एक ऐसी चीज है जिससे इन्सान अपनी सारी इच्छाएं पूरी कर सकता है। व्यक्ति के पास जब ज्यादा पैसा आ जाए तो घमंड कर के अर्श से फर्श तक आ जाता है। चाणक्य ने पैसों के लिए किन तीन चीजों का त्याग करना मूर्खता बताया है।
धर्म
चाणक्य नीति में बताया गया है कि व्यक्ति को चंद पैसों के लिए धर्म का त्याग कभी नहीं करना चाहिए। पैसों के लिए धर्म त्यागने वाला व्यक्ति ना केवल अपनी प्रतिष्ठा खो देता है, बल्कि पैसों के लालच में वह बुराई के मार्ग पर भी चलने लगता है। इसलिए व्यक्ति को अपने कर्तव्यों के साथ धर्म का भी पालन करते रहना चाहिए और उसका साथ सदैव देते रहना चाहिए।
प्रेम
आचार्य चाणक्य ने बताया है कि परिवार के प्रेम के लिए अगर कुछ पैसों को त्यागना भी पड़े तो इससे पीछे नहीं हटना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रेम के सामने अन्य चीज का कोई मोल नहीं है। धन केवल कुछ समय के लिए ही साथ रहता है, लेकिन प्रेम सदा बना रहता है। इसलिए जिस परिवार में आपसी मेलजोल और प्रेम अधिक होता है, वहां अपने आप ही धन, सम्मान, ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।
आत्मसम्मान
आचार्य चाणक्य ने आत्मसम्मान को व्यक्ति का अमूल्य धन बताया है। ऐसा इसलिए क्योंकि लूटा गया ध्यान वापस अर्जित किया जा सकता है। लेकिन आत्मसम्मान चले जाने पर उसे वापस ला पाना असंभव के समान हो जाता है।
इसलिए व्यक्ति को स्वाभिमान के सामने पैसों को नहीं तोड़ना चाहिए। अगर उसके लिए धन का त्याग भी करना पड़े तो इस से परहेज नहीं करना चाहिए। ऐसे ही व्यक्ति को श्रेष्ठ का दर्जा दिया जाता है।