Pollution in Ganga :- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal, NGT) ने कहा है कि दशकों तक निगरानी के बावजूद लगभग 50 प्रतिशत गैर-शोधित (अनट्रीटेड) सीवेज और उद्योगों के गंदे पानी को अभी भी गंगा में छोड़ा जाना जारी है। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि गैर-अनुपालन और लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफलता के विरुद्ध राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga, NMCG) ) कड़े कदम उठाने की स्थिति में नहीं दिखता।
मानदंडों के अनुसार हो गंगा जल की गुणवत्ता
राष्ट्रीय गंगा परिषद (एनजीसी) से 14 अक्टूबर (सुनवाई की अगली तिथि) से पहले मामले में कार्रवाई रिपोर्ट मांगते हुए एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदेश कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि गंगा जल की गुणवत्ता मानदंडों के अनुसार होनी चाहिए क्योंकि इसका उपयोग न केवल नहाने के लिए, बल्कि आचमन (प्रार्थना या अनुष्ठान से पहले पानी की घूंट लेना) के लिए भी होता है।
मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा हो…
एनजीटी ने कहा, जैसा पिछले 37 वर्षों में हुआ है, बिना सफलता के अनिश्चितकाल तक प्रक्रिया जारी रखने के बजाय हमारा सुझाव है कि एनजीसी के सदस्य सचिव यानी एनएमसीजी के महानिदेशक एनजीसी की अगली बैठक में गंगा में प्रदूषण की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए ट्रीटमेंट प्रणालियों की स्थापना और रखरखाव का कार्य करने की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा का एजेंडा रख सकते हैं।