नई दिल्ली:- वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 31 मई को NSO ऑफिस ने GDP के जो आंकड़े जारी किए वो हेडलाइंस बन चुकी हैं। मौजूदा कीमतों के आधार पर जो अनुमान लगाया गया था उसके हिसाब से देश की जीडीपी 147.36 ट्रिलियन रुपये थी, लेकिन FY 2021-22 में जीडीपी 8.7% की काफी अच्छी दर से बढ़ी। अभी की कीमतों के हिसाब से GDP 236.65 ट्रिलियन रुपये है। अगर देखें तो 19.5% की सालाना बढोतरी इसमें दर्ज हुई है। इस तरह प्रति व्यक्ति जीडीपी 107,670 रुपये थी। हालांकि सरकार आंकड़ों से काफी खुश थी, लेकिन कई विश्लेषक सतर्क नजर आए. आखिर साल 2021-22 के GDP नंबर क्या बताते हैं। इसको समझने के लिए हमें गहरी पड़ताल करनी होगी।
बीच के नंबरों को ठीक से देखना होगा
GDP मुख्य तौर पर दो चीजों से कैलकुलेट होती है- ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) और सर्विसेज और फिर प्रोडक्ट पर नेट टैक्स की गिनती। साल 2021-22 में GVA जो रिकॉर्ड किया गया वो 8.1 फीसदी है। लेकिन तिमाही ग्रोथ अक्टूबर 2021 से दिसंबर 2021 में 4.7 फीसदी और चौथी तिमाही में जनवरी से मार्च 2022 में सिर्फ 3.9 फीसदी है। वहीं अप्रैल-जून 2021 तिमाही में ये ग्रोथ 18.1 फीसदी थी। इसलिए 8.1 फीसदी की जो ग्रोथ अभी दिख रही है, वो उसकी वजह से है।
यहां तक कि अगर साल 2021 की पहली तिमाही की GVA को देखें तो ये सिर्फ 30.35 ट्रिलियन रुपए थी जो कि महामारी से पहले की तिमाही यानि 2019-20 की तिमाही से 2.35 ट्रिलियन रुपए कम था। उस वक्त ये 32.88 ट्रिलियन रुपए था। इस तरह से 2021-22 के सेकेंड हाफ यानि छमाही को देखें तो जीवीए ग्रोथ हकीकत में 4.3 फीसदी पर ही थी।
यदि कोई पिछले वर्ष में GVA विकास पर ध्यान देता है तो यह GVA ग्रोथ अधिक निराशाजनक हो जाती है। 2020-21 के Q3 और Q4 में, GVA की ग्रोथ परेशान करने वाला 2.1% और 5.7% या केवल दूसरी छमाही के लिए 3.9% कम थी। यानि भारत 2020-21 में केवल 3.9% और 2021-22 में 4.3% दर से बढ़ा।
यदि कोई एक और वर्ष 2019-20 तक पीछे चला जाए, तो कोविड -19 महामारी से एक साल पहले, दूसरी छमाही में बेहद कम ग्रोथ दर का ट्रेंड हमारी विकास की कहानी के लिए अधिक परेशानी बढ़ाती है। भारतीय GVA Q1 में केवल 3.4% और Q2 में 3.7% बढ़ा। इस तरह से औसतन 2019-20 में 3.6% . इससे 3 साल के ट्रेंड को समझें तो ये फिर 4 फीसदी से नीचे चली जाती है। मौजूदा साल में भी कोई राहत नहीं मिलती दिख रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने Q3 और Q4 2022-23 की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान केवल 4.1% और 4% रखा है। फिर से दूसरी छमाही के लिए GVA ग्रोथ केवल 4% बताया है।
हमें पहली छमाही की ग्रोथ रिकॉर्ड्स की अनदेखी करनी होगी. क्योंकि ये सांख्यिकीय रूप से गलत है। Q1 की वृद्धि 2019-20 में 5% से सीधे माइनस यानि निगेटिव 21.4% पर चली गई। तो वहीं 2020-21 से 2022-23 में ये पॉजिटिव यानि प्लस 18.1% हो गई। पहली तिमाही के उतार-चढ़ाव वाली ग्रोथ के असर को 2020-21 में निगेटिव यानि माइनस 6.6% और साल 2021-22 में पॉजिटिव यानि प्लस 8.7% की सालाना बढ़ोतरी दर से देखा जा सकता है।