इस्लामाबाद :- कट्टरपंथी देश सांप्रदायिक सरकार और अल्पसंख्यकों से बर्बरता करने वालों को सरकारी संरक्षण ये पाकिस्तान है जिसके प्रधानमंत्री बार बार भारत पर निशाना साधते रहते हैं जिनके देश में हर दिन अल्पसंख्यकों को जलालत की मौत दी जाती है। खासकर हिंदुओं के लिए एक एक कदम चलना खौफ का दूसरा नाम होता है। पाकिस्तान में हिंदू महिलाओं को भेड़ियों की नजर से ही देखा जाता है और अगर ऐसा नहीं होता तो फिर एक और हिंदू लड़की को बीच सड़क पर ना ही अगवा करने की कोशिश की जाती और ना ही बीच सड़क पर गोली मारकर हत्या की जाती।
सोमवार को एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध प्रांत में अपहरण के असफल प्रयास के दौरान एक 18 वर्षीय हिंदू लड़की की गोली मारकर हत्या कर दी गई। द फ्राइडे टाइम्स अखबार ने बताया कि रोही सुक्कुर में हमलावरों का विरोध करने के बाद पूजा ओड को सड़क के बीच में गोली मार दी गई थी। 18 साल की पूजा ने कई गुनाह किए थे जैसे वो हिंदू थी जैसे वो पाकिस्तान में पैदा हुई थी और तीसरा गुनाह कि वो कट्टरपंथियों के देश में एक लड़की बनकर पैदा हुई थी।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर इतने अत्याचार होते हैं कि अब हिंदूओं पर जुल्म की खबर प्रमुख अखबारों में हेडलाइंस भी नहीं बना पाती हैं। ठीक उसी तरह से जब कश्मीर फाइल्स को भारत के कुछ नेता और कुछ लोग फर्जी बातें कहते हैं। पाकिस्तान में हर साल अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित कई महिलाओं विशेष रूप से सिंध में हिंदुओं का अपहरण किया जाता है और धार्मिक चरमपंथियों द्वारा उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है। जो इनकार करती हैं उन्हें मार दिया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय लंबे समय से जबरन विवाह और धर्मांतरण के मुद्दे का सामना कर रहे हैं।
पीपुल्स कमीशन फॉर माइनॉरिटीज राइट्स और सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के अनुसार 2013 और 2019 के बीच जबरन धर्मांतरण की 156 घटनाएं हुईं हैं। सबसे खास बात ये है कि पाकिस्तान में सरकार भले ही किसी भी पार्टी की क्यों ना हो अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों को सिर आंखों पर बिठाया जाता है। पाकिस्तान में अलग अलग विचारधारा वाले लोग भले ही रहते हों लेकिन बात अगल अल्पसंख्यखों पर जुल्म की हो तो हर विचारधारा एक साथ होती है। हर विचारधारा का समर्थन होता है। मजाल है कि पाकिस्तान के अंदर हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार का कोई विरोध हो।
पीपुल्स कमीशन फॉर माइनॉरिटीज राइट्स और सेंटर फॉर सोशल जस्टिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि, साल 2019 में सिंध सरकार ने दूसरी बार जबरन धर्मांतरण और विवाह को प्रतिबंधित करने का प्रयास किया लेकिन कुछ धार्मिक प्रदर्शनकारियों ने बिल का विरोध किया और ऐसा नहीं हो पाया। फिर सरकार ने कोशिश भी नहीं की पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो ने पाकिस्तान में हिंदू समुदाय की कुल जनसंख्या क्रमशः 1.60 प्रतिशत और सिंध में 6.51 प्रतिशत की रिपोर्ट दी है।
पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय हैं आधिकारिक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान में 75 लाख हिंदू रहते हैं। हालांकि हिंदू समुदाय के अनुसार देश में 90 लाख से अधिक हिंदू रह रहे हैं। पाकिस्तान की अधिकांश हिंदू आबादी सिंध प्रांत में बसी है जहां वे मुस्लिम निवासियों के साथ संस्कृति परंपराओं और भाषा को साझा करते हैं। वे अक्सर चरमपंथियों द्वारा उत्पीड़न की शिकायत करते हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग ने पाकिस्तान को ‘एक कन्ट्री ऑफ पार्टिकुलर कन्सर्न’ की श्रेणी में रख दिया है जिसका मतलब होता है वो देश जहां धार्मिक आजादी का महत्व नहीं है। जहां पर अल्पसंख्यकों पर जुल्म किए जाते हैं उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसा दिया जाता है। बगैर किसी आरोप के उन्हें हिरासत में रखा जाता है और अल्पसंख्यक लड़कियों को घर्म परिवर्तन कराने में जिस देश में जोर दिया जाता है। यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम की रिपोर्ट के आधार पर पाकिस्तान को ‘अल्पसंख्यकों के लिए नर्क’ ठहराया गया है जिसे पाकिस्तानी सरकार ने खारिज कर दिया है।
अमेरिकन रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि पाकिस्तान में सिर्फ धर्म परिवर्तन के लिए अल्पसंख्यक लड़कियों को अगवा किया जाता है और फिर उनकी शादी मुस्लिमों से करवा दी जाती है। पाकिस्तान अल्पसंख्यक समुदायों के लिए रहने लायक नहीं बचा है। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकल स्तर पर एक पूरा का पूरा गिरोह धर्मपरिवर्तन के पीछे शामिल होता है। जिसमें मौलवी, पुलिस अधिकारियों के साथ साथ मजिस्ट्रेट भी शामिल होते हैं किसी हिन्दू लड़की का अपहरण होने के बाद मौलवी उसके धर्मपरिवर्तन कर मुसलमान बनाते हैं।
भ्रष्ट पुलिस अधिकारी मुकदमा दर्ज नहीं करते हैं और अगर मुकदमा दर्ज भी होता है तो मजिस्ट्रेट उस मुकदमे को खारिज कर देते हैं। चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्टिविस्ट जिबरान नासिर इस सिंडिकेट को ‘माफियाराज’ करार देते हुए बताते हैं कि पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों का शिकार किया जाता है। हिन्दू लड़कियां ज्यादातर इसलिए इनके टार्गेट पर होती हैं क्योंकि स्थानीय पुलिस से लेकर स्थानीय नेता तक को पहले धर्म की दुहाई दी जाती है और अगर कोई नेता विरोध करता है तो मौलवी उसके खिलाफ फतवा जारी करने की धमकी देते हैं।
चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्टिविस्ट जिबरान नासिर बताते हैं पाकिस्तान में अब काफी कम अल्पसंख्यक रह गये हैं। पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है और अगर कोई हिन्दू परिवार उस विरोध के खिलाफ थाने में जाता है तो उसके ऊपर ईश-निंदा का आरोप मढ़ दिया जाता है। पाकिस्तान में ईश-निंदा के लिए मौत की सज़ा का प्रावधान है लिहाजा ज्यादातर मामलों में रिपोर्ट दर्ज कराने पीड़ित परिवार नहीं जाता है।