Supreme Court agrees नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए समय विस्तार की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति व्यक्त की है।
क्या है मामला?
वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए केंद्र सरकार ने एक पोर्टल लॉन्च किया है जिस पर सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण अपलोड करना अनिवार्य है। इस कार्य के लिए छह महीने का समय दिया गया था जो अब समाप्त होने वाला है। ओवैसी ने अपनी याचिका में कहा है कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए पर्याप्त समय नहीं है और उन्हें समय विस्तार की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि वह इस मामले में जल्द ही सुनवाई करेगी। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया भी सुनना चाहती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए समय विस्तार की मांग को देखते हुए वह इस मामले में जल्द ही फैसला सुनाएगी।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025
गौरतलब है कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 में कुछ प्रावधानों को शामिल किया गया है जिनमें वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत वक्फ संपत्तियों का विवरण एक पोर्टल पर अपलोड करना होगा और ऐसा न करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ओवैसी की मांग
ओवैसी ने अपनी याचिका में कहा है कि वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए पर्याप्त समय नहीं है और उन्हें समय विस्तार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण एक जटिल प्रक्रिया है और इसमें अधिक समय लग सकता है। इसलिए उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया है कि वह वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए समय विस्तार की अनुमति दे।






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